फिल्ड स्टाफ, मेंटेनेंस और ट्रांसपोर्टिंग ठेका सिस्टम के भरोसे, बीलिंग और उपभोक्ताओं से वसूली के लिए विभागीय कर्मचारी-अफसर
रायपुर/नवप्रदेश। Contract Workers Of Electricity Department : छत्तीसगढ़ सरकार ने राजधानी में बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए बिजली सप्लाई सिस्टम और मजबूत बनाने का फैसला तो लिया था लेकिन उनकी योजना को ठेका प्रथा पलीता लगा रहा है। ऐसे में वेतन कम, ड्यूटी ज्यादा, छुट्टी भी नहीं मिलने से क्या खाक बिजली सप्लाई सिस्टम दुरुस्त करेंगे। इन सवालों के बीच देर रात बिना सुरक्षा इंतजामों के मौत से गले लगते प्रियदर्शनी नगर में दिखे।
नवप्रदेश ने जब उनसे उनका हाल-ऐ-बयां पूछा तो उनका दर्द कुछ यूं छलक उठा। बोले- बहुत जोखिम है, ड्यूटी में साहब…7000 में कर्मचारी काम नहीं, अपनी मौत खरीद रहे है। मज़बूरी है मौत से समझौता करने की लेकिन मिलने वाला वेतन भी 3 या 4 महिना लेट हो जाता है तो तकलीफ होती है। ड्यूटी भी तीन शिफ्ट में बिना गुणवत्ता और सुरक्षा उपकरणों के करते हैं। ऊपर से लोगों की नाराजगी, गालियां और कई दफा मार तक खाने वाले ठेका कर्मी गर्मी और अब खासकर बारिश में जानलेवा दिक्कतों को लेकर खौफजदा हैं।
उनके मुताबिक देखा जाये तो शिक्षाकर्मी 11 बजे पढ़ाने जाता है और 4 बजे फुर्सत पा जाता है उसे छत्तीसगढ़ सरकार 50 हजार सैलरी दे रही है। और ठेका कर्मी लाइन मैन को 700 से 11 हजार ही मिल रहा है। बारिश और गर्मी में रोज मौत से साक्षात्कार करते हैं। गम बूट और दस्ताने यहाँ तक कि पोल में चढ़ने वाली सीढ़ियां तक बारिश में जोखिम को बढ़ा देती हैं। क्योंकि वह उच्च गुणवत्ता के नहीं होते। चेहरों में दर्द और दिलों में गुबार भरे बिजली विभाग के ठेका कर्मियों का सिस्टम, सरकार और ठेकेदार के खिलाफ गुस्सा कभी भी फूट पड़ेगा।
रमन सरकार के वक्त बनी थी यह योजना
पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने ऊर्जा विभाग और छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कंपनी की एक उच्च स्तरीय बैठक में राजधानी रायपुर के लिए प्रस्तावित रोड मैप पर प्लान किया था। जिसमें शहर में इस समय 33/11 केवी के 42 सब-स्टेशन और तीन हजार सात सौ वितरण ट्रांसफॉर्मर हैं। कार्य योजना में इतनी क्षमता के 25 नए विद्युत उपकेंद्र और पांच सौ नए ट्रांसफॉर्मर स्थापित करने का प्रस्ताव था। इस प्रकार शहर में 33/11 केवी क्षमता के ट्रांसफॉर्मरों की संख्या 42 से बढ़कर 67 और ट्रांसफॉर्मरों की संख्या 3700 से बढ़कर 4200 करना था। योजना का क्या हुआ जितना चर्चा का यह विषय नहीं है उससे कहीं ज्यादा है कर्मियों को वेतन भुगतान नियमतः करने का जिम्मा सरकार-विभाग अपने हाथ में ले।
सवाल, सुझाव और मांग
0 मासिक वेतन वो भी 3 या 4 महिना मे एक बार मिलता है इतने मंहगाई मे घर परिवार कैसे चलाऐ
0 अधिकारी और ठेकेदार दोनों का कमीशन बंद हो। विभाग से वेतन मिलेगा तो शोषण नहीं होगा
0 न वेतन बढ़ रहा न कोई बोनस मिलता है, दुर्घटना में घायल या मौत पर भी मुआवजा नाममात्र
0 उपकेंद्र का सारा कार्य आउटसोर्स से और उपकेंद्रों पर कोई भी व्यवस्था नहीं
0 खुद के पैसों से मोबाईल रिचार्ज कर अपने मोबाईल से लोड, रिडिंग, परमिट देने का कार्य कर रहे