Congress needs introspection: हरियाणा और जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में वैसे तो कांग्रेस का प्रदर्शन उनकी आशा के अनुरूप नहीं रहा। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि यह कांग्रेस के लिए कोई बड़ा झटका हो।
इसके बावजूद कांग्रेस को आत्ममंथन की आवश्यकता है। हरियाणा में कांग्र्रेस पार्टी के जीत की प्रबल संभावना थी लेकिन वहां उसे कांग्रेसियों की आपसी गुटबाजी ले डूबी अन्यथा 5-7 सीटें कांग्रेस को और मिल जाती तो वहां कांग्रेस की सरकार बन ही जाती।
इस तरह जम्मू कश्मीर में भी कांग्रेस ने नेशनल कांफे्रन्स के साथ गठजोड़ करके समझदारी का परिचय दिया है। वहां नेशनल कांफ्रेन्स और कांग्रेस का गठबंधन सरकार बनाने में सफल रहा है।
यह ठीक है कि जम्मू कश्मीर में कांग्रेस की सीटें कम हुई है लेकिन उसका प्रदर्शन संतोषजनक ही रहा है। यदि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद जो पूर्व में जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं वे कांग्रेस से अलग नहीं होते और अपनी अलग पार्टी नहीं बनाते तो कांग्रेस का जम्मू कश्मीर में प्रदर्शन बेहतर रहता।
बहरहाल अब कांग्रेस को बीती ताही बिसार के आगे की सुध लेना चाहिए। क्योंकि चार माह बाद ही देश के दूसरे सबसे बड़े राज्य महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
इसके अलावा झारखंड़ और नई दिल्ली विधानसभा के चुनाव भी होने हैं। इन तीनों ही राज्यों में कांग्रेस के सामने कठिन चुनौतियां हैं। जिसका सामना करने के लिए कांग्रेस को सबसे पहले पार्टी मेें व्याप्त गुटबाजी को खत्म करना होगा अन्यथा उसे फिर से पराजय का सामना करना पड सकता है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम यह बताते हैं कि वहां कांग्रेस की अंतर्कलह ही कांग्रेस की लुटिया डुबोने का प्रमुख कारण बनी है। भूपेन्द्र हुड्डा पर कांग्रेस हाईकमान ने आंख मूंदकर जो भरोसा किया और वहां की कुमारी सैैलजा जैसी जनाधार वाली नेताओं की उपेक्षा की।
उसी का खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा है। अब तो हरियाणा कांग्रेस की गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है और चुनाव परिणाम को लेकर वहां के नेता एक दूसरे के सिर पर ठीकरा फोडऩे लगे हैं।
कांग्रेस पार्टी हरियाणा विधानसभा चुनाव के अप्रत्याशित परिणामों की समीक्षा कर रही है और जो भी नेता इस पराजय के लिए जिम्मेदार पाए जाएंगे उनके खिलाफ पार्टी को कड़ी कार्यवाही करने से नहीं हिचकना चाहिए।
ताकि पूरे देश में कांग्रेस के क्षेत्रीय क्षत्रपों को सबक मिले जो खुद को तुर्रम खां समझते हैं और सत्ता पर काबिज होने के लिए पार्टी हित की अनदेखी करते हैं। कांग्रेस पार्टी को हरियाणा विधानसभा के चुनाव परिणामों को स्वीकारना चाहिए।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर मिली शिकायतों के आधार पर चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है। गौरतलब है कि कांग्रेस के कई नेता इस चुनाव परिणाम को पचा नहीं पा रहे हैं और मतगणना की प्रक्रिया से लेरक ईवीएम तक पर सवाल उठा रहे हैं।
बहरहाल कांग्रेस की शिकायत पर चुनाव आयोग विचार करने जा रहा है और जल्द ही दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। बहरहाल कांग्रेस को इन चुनाव परिणामों को लेकर आत्ममंथन करना चाहिए और उस हिसाब से भविष्य की रणनीति तय करनी चाहिए।