नई दिल्ली/इंफाल। manipur violence: विपक्षी गठबंधन के प्रतिनिधिमंडल के लौटने के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि मणिपुर में अनिश्चितता और भय फैल रहा है और केंद्र और राज्य सरकार वहां बेहद गंभीर स्थिति से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही हैं।
पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि मणिपुर में स्थिति बेहद गंभीर है। हजारों लोग बेघर हो गए हैं। उन्हें नहीं पता कि वे अपने घर कब लौटेंगे। कृषि कार्य ठप हो गया है।
सरकारी तंत्र पूरी तरह फेल हो गया है
‘इंडिया’ गठबंधन प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को केंद्र सरकार की ‘चुप्पी’ की आलोचना की। साथ ही कहा जा रहा है कि सरकार पूर्वोत्तर राज्य में जारी हालात के प्रति उदासीनता दिखा रही है।
राज्यपाल को दी गई घोषणा का क्या हुआ?
मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने एक बयान में कहा, पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही गोलीबारी बिना किसी संदेह के साबित करती है कि राज्य तंत्र स्थिति को नियंत्रित करने में पूरी तरह से विफल रहा है। तीन महीने से चल रहे इंटरनेट पर प्रतिबंध को लेकर अफवाहें फैल रही हैं। सभी समुदायों में नाराजगी और अलगाव है और इसे बिना देर किए ठीक करने की जरूरत है।
- प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि मणिपुर में 89 दिनों से कानून व्यवस्था ध्वस्त है और इसकी जानकारी केंद्र सरकार को दी जानी चाहिए।
- मणिपुर में अब तक 140 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।
- 5000 घर जला दिए गए हैं।
- 60 हजार लोग विस्थापित हुए हैं।
प्रतिनिधिमंडल में कौन है?
प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी के साथ लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई, सुष्मिता देव, महुआ माझी, कनीमोली, मोहम्मद फैसल, जयंत चौधरी, मनोज कुमार झा, एन. क। प्रेमचंद्रन, टी. थिरुमावलवन, डी. रविकुमार के अलावा राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और अनिल प्रसाद हेगड़े, संदोश कुमार, ए. एक। रहीम, एसपी के जावेद अली खान, आईयूएमएल के ई. टी। मोहम्मद बशीर, आप के सुशील गुप्ता और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के अरविंद सावंत मौजूद थे।