वेब डेस्क। Congress Crisis : भारत की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस जिसे सबसे ज्यादा समय तक देश में राज करने का अवसर मिला है वह इन दिनों संक्रमण काल से गुजर रही है जो चिंता का विषय है। लोकतंत्र में सत्ता पक्ष की निरंकुशता पर अंकुश लगाने के लिए सशक्त विपक्ष का होना निहायत जरूरी है। यह काम कांग्रेस जैसी पार्टी ही कर सकती है जो आज भी प्रमुख विपक्षी पार्टी है किन्तु कांग्रेस इन दिनो अंतर्कलह का शिकार हो रही है।
पंजाब का उदाहरण सामने है जहां कांग्रेस को फिर से सत्ता में लाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और अब वे कांग्रेस भी छोड़ सकते है। उन्होने अपने ट्वीटर हैंडल से कांग्रेस शब्द को हटा लिया है और यह बयान भी दिया है कि वे अब कांग्रेस में नहीं रहेंगे। कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए ऐसे हालात पैदा करने वाले भाजपा से आयापित नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बन गए लेकिन अब उन्होंने भी अध्यक्ष पद से इस्तीफ देकर पंजाब में कांग्रेस के लिए फजीहत (Congress Crisis) पैदा कर दी है। हालांकि नवजोत सिंह सिद्धू को मनाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन अपने पद से इस्तीफा देकर उन्होने कांग्रेस की किरकिरी तो कर ही दी है।
पंजाब के हालात को लेकर वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं कपिल सिब्बल, गुलामनबी आजाद और आनंद शर्मा ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाने की मांग की है जिसपर कांग्रेस हाईकमान क्या फैसला लेता है यह देखना होगा।
दरअसल कांग्रेस के लिए यह न सिर्फ चिंतन का बल्कि चिंता का भी विषय होना चाहिए कि आखिर क्यों एक के बाद एक कंाग्रेस के नेता पार्टी से किनारा कर रहे है। कांग्रेस को आज मजबूत बनाने की आवश्यकता है ताकि वह सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाए लेकिन कांग्रेस कमजोर पडऩे लगी है जो लोकतंत्र के हित में नहीं है।
पार्टी हाईकमान को इस बारे में गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए क्योंकि कांग्रेस (Congress Crisis) ही एकमात्र ऐसी राष्ट्रीय पार्टी है जिसका पूरे देश में आज भी जनाधार है और आगे चलकर कांग्रेस ही भाजपा का विकल्प बन सकती है इसलिए कांग्रेस का सशक्त रहना देश के हित में है। उम्मीद की जानी चाहिए कि कांग्रेस हाईकमान अब स्थिति की गंभीरता को देखकर कांग्रेस के कायाकल्प के लिए उचित कदम उठाएगा।