रायपुर। कांग्रेस (congress) की पहली निर्वाचित सरकार के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (cm bhupesh baghel) ने भाजपा (bjp) की प्रोपेगेंडा पॉलिटिक्स (propaganda politics) को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया हैं। कोरोना (corona) के संभावित खतरे को लेकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा बार-बार आगाह करने के बाद भी केन्द्र सरकार उपाय करने की बजाय प्रोपेगेंडा पॉलिटिक्स (propaganda politics) का गन्दा खेल खेलती रही । यहां तक कि राज्यों से रायशुमारी के बगैर ही लॉकडाउन घोषित कर दिया और ऊपर से तुर्रा ये कि कांग्रेस (congress) कोरोना पर राजनीति न करे। तो क्या नमस्ते ट्रम्प और मध्यप्रदेश की सरकार गिराना कोई पूजा पाठ या भजन कीर्तन था ? इस डर्टी पॉलिटिक्स की सजा पूरा देश भुगत रहा है। केन्द्र से राज्यों को सिर्फ निर्देश आ रहे हैं उनके हिस्से का फंड नहीं आ रहा ।
दैनिक नवप्रदेश के प्रधान संपादक यशवंत धोटे एंव उनकी टीम के साथ लगभग पौन घन्टे की ऑन द रिकॉर्ड और ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत में बघेल (cm bhupesh baghel) ने कहा कि राज्य का विपक्ष यदि जरा भी जनता के प्रति जवाबदेह हैं तो केन्द्र से कम से कम राज्य के हिस्से का ही फंड जारी करवा दे। कोरोना (corona) काल में विस्थापित प्रवासी मजदूरों, संक्रमण के नियंत्रण से लेकर इस संकट के दौर में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के टिके रहने से जुड़े कई सवालों के जवाब में बघेल ने कहा कि मैं अकेले नहीं राज्य की पौनै तीन करोड़ जनता कोरोना से लड़ रही है और हम जीतेंगे। प्रस्तुत है कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब…
प्र. राज्य में अब तक कितने श्रमिक वापस आ गए और उनके लिए सरकार के पास क्या प्लान है?
उ. हमारे राज्य से जो श्रमिक दूसरे राज्यों में गए थे वे अब लौट रहे हैं। अब तक हमने 53 ट्रेनों की व्यवस्था की है। बहुत से ऐसे मजदूर भी हैं जो अपने वाहन से या पैदल लौटे हैं। करीब 2 लाख मजदूर पहुंच चुके हैं। इनके लिए क्वारंटाइन की व्यवस्था की गई हैं,जिसमें इनके खाने-पीने के अलावा मनोरंजन के साधन मसलन टीवी- रेडियो के इंतजाम किए जा रहे है। जो गर्भवती महिलाएं आ रही हैं उन्हें जननी सुरक्षा योजना का लाभ सुनिश्चित किया जा रहा है। जिनके पास जॉब कार्ड नहीं उन्हे कार्ड देकर मनरेगा में काम दिया जा रहा है । राशन कार्ड भी इसी तरह बनाए जाएंगे। दूसरे प्रदेश के जो प्रवासी मजदूर हमारे प्रदेश से होकर जा रहे हैं, उनका भी ध्यान रखा जा रहा है। ऐसे श्रमिकों की संख्या भी कम नहीं है। करीब 10-15 हजार मजदूर रोज छत्तीसगढ़ से होकर जा रहे थे। हालांकि अभी दबाव कुछ कम हुआ है। दूसरे राज्यों के इन प्रवासी श्रमिकों को हमारे राज्य की सीमा से उनके राज्य की सीमा तक छोड़ने, उनके भोजन और यहां तक कि चप्पल की सुविधा भी मुहैया कराई जा रही है।
प्र. आबादी के लिहाज से अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ नियंत्रण में है बल्कि कोई मरीज वेन्टीलेटर पर नहीं है। इसे कैसे देख रहे हैं ?
उ. हमारा मैनेजमेंट ठीक रहा, लोगों का सहयोग अच्छा रहा, कर्मचारियों का सेवाभाव भी इसमें अहम है, समाजसेवी संगठनों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। मीडिया के लोगों ने भी सहयोग किया। इसमें तीन-चार बातें हुई हैं। पहली बात यह है कि जो छात्र-छात्राएं विदेश में पढ़ाई के लिए गए थे और जो लोग पर्यटन के लिए गए थे, वे जब लौटे तो वह हमारा पहला केस था। 2100 लोग विदेश से आए थे। सभी को हमने होम क्वारंटाइन में रखा। सभी की जांच की गई। दूसरा लॉट तबलीगी जमात के 107 लोगों का था। सभी को आइडेंटिफाई कर इलाज किया गया। तीसरा- कोटा के छात्रों के लौटने के वक्त ही हमारे यहां के कुछ मजदूर जो पैदल या अपने साधनों से चुपचाप लौट आए थे। ये वो संख्या हैं जिसके कारण कोरोना के कुछ पॉजिटिव मामले आए। अभी चौथे लॉट में वे लोग लौट रहे हैं, जो श्रमिक हैं, कुछ छात्र-छात्राएं व ऐसे भी लोग हैं जो इलाज कराने या व्यापार के लिए बाहर गए हुए थे। उनके लिए भी हमारी तैयारी है। प्रशासन व समाज के सहयोग से तुरंत सभी को चिह्नांकित कर लिया गया। दूसरा, हमारे डॉक्टरों ने भी बढ़िया इलाज किया। जिसकी वजह से कोई दुर्घटना नहीं हुई।
प्र. इस कोरोना काल में भी आपने राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत रखा, क्या यह माना जाए कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना इसके लिए संजीवनी साबित होगी?
उ. कोरोना काल में पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। देश की जीडीपी गिरी है और राज्यों की भी। छत्तीसगढ़ इससे अछूता नहीं है। ऐसे समय में ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए हम लोगों ने 26 लाख लोग मनरेगा में काम पर लगाया । दूसरा- लघु वनोपज खरीदी का काम हुआ। इससे जंगल में रह रहे आदिवासी या परंपरागत रूप से जंगल में रह रहे लोगों को लाभ हुआ- चाहे वो महुआ संग्रहणकर्ता हो, तेंदूपत्ता संग्रहणकर्ता हो या इमली संग्रहणकर्ता हो। सभी को समर्थन मूल्य पर खरीदा, जिससे राशि सीधे उनके खातों में गई। तीसरा बड़ा काम किया है-राजीव गांधी किसान न्याय योजना का। इसके तहत हमने 5700 करोड़ रुपए किसानों को देने का फैसला किया। जिसकी 1500 करोड़ रु. की प्रथम किश्त 21 मई को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव जी के शहादत दिवस पर हमने रिलीज कर दी । ग्रामीण क्षेत्र में चाहे वो मजदूर हो, जंगल में रहने वाले आदिवासी हो या किसान, सभी के खाते में पैसा पहुंच गया है। और वही पैसा तो वापस बाजार में आता हैं उसी से व्यापारी दो पैसा कमाता हैं। अर्थव्यवस्था के इस सायकल को समझने के लिऐ किसी राकेट साइंस की जरूरत नहीं है। जब तक बाजार में लीक्वीड (पैसे) का फ्लो नहीं रहेगा तब तक आप कैसे कह सकते हैं कि आपकी अर्थव्यवस्था ठीक है।
प्र. . . .तो फिर आपने राज्य के बजट में 30 फीसदी कटौती क्यो की? क्या इससे राज्य के अन्य विकास कार्य प्रभावित नही होगें?
उ. हम भारत सरकार से लगातार मांग कर रहे हैं कि 30 हजार करोड़ रुपए दीजिए। 20 लाख करोड़ के जिस पैकेज का ऐलान किया गया हैं, उससे राज्यों को कुछ मिल नहीं रहा है। 30 हजार करोड़ रुपए दे नहीं रहे हैं। सभी राज्य कटौती कर रहे हैं तो हमारी भी बाध्यता है। लेकिन हमारी कोशिश है कि अन्य विकास कार्य प्रभावित न हो।
प्र. क्या आप मानते हैं कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा केंद्र सरकार को दिए जा रहे सुझावों पर यदि गौर किया जाता तो आज हालात बेहतर होते ?
उ. राहुल जी ने 12 फरवरी को ही कह दिया था कि कोरोना वैश्विक महामारी है और इससे लड़ने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए लेकिन तब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के स्वागत की तैयारियां और मध्यप्रदेश सरकार गिराकर अपनी सरकार बनाने की तैयारियां चल रही थीं। जब सरकार बनी उसके बाद लॉकडाउन किया गया। ट्रंप का स्वागत ज्यादा जरूरी था। गुजरात में सबसे ज्यादा पॉजिटिव देखे जा रहे हैं। मध्य प्रदेश में भी वही स्थिति है। नुकसान देश को भुगतना पड़ रहा है। जो लोग विदेश यात्रा कर आ रहे थे, उन्हें भी क्वारंटाइन में रख देते तो भी यह महामारी नहीं फैलती। दूसरी बात राहुल जी ने फिर कहा आर्थिक गतिविधि शून्य हो गई हैं, इससे लोग बेरोजगार हो जाएंगे। कोरोना के साथ लोगों को जीने की आदत डालनी होगी। व्यापार-व्यवसाय को संचालित करना होगा। पूरे देश में व्यापार ठप है। करोड़ों मजदूर पैदल चलने के लिए बाध्य हुए। कई की मौत हुई। आज तक किसी ने नहीं देखा, ऐसा अभूतपूर्व व हृदयविदारक दृश्य देखने को मिला। इसके लिए कोई जिम्मेदार है तो भारत सरकार जिम्मेदार है। इसी को लेकर बार-बार राहुलजी बोल रहे थे। भाजपा (bjp) पहले दिन से कोरोना को लेकर प्रोपेगेंडा पॉलिटिक्स (propaganda politics) कर रही है जो देश के लोकतंत्र के लिए भी खतरा है। इस डर्टी पालिटिक्स की सजा देश भुगत रहा हैं।