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निकाय चुनाव की तैयारियों में कहीं पिछड़ तो नहीं रही कांग्रेस?

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कांकेर/नवप्रदेश। प्रदेश में कांग्रेस (congress) की सरकार बने 8 माह (8 month) बीत (pass) चुके हैं। लेकिन इसका खुमार (hangover) मानों पार्टी केे जिला पदाधिकारियों के सिर से अभी उतरा नहीं है। दरअसल नगरी निकाय व पंचायत चुनाव को अब तीन माह बाकी रह गए हैं, लेकिन जिला पदाधिकारियों ने इन चुनावों की तैयारी के लिए जिला स्तर पर अब तक कोई बैठक नहीं ली। इससे जिले के पार्टी के कट्टर कार्यकर्ताओं में असंतोष है।

जबकि 15 साल सूबे की सत्ता में काबिज रही भाजपा (bjp) आज सत्ता से दूर रहकर भी लगातार सदस्यता अभियान व जिला तथा प्रदेश स्तरीय बैठकें लेकर चुनावी तैयारियों में जुट गई है। लिहाजा प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में अब यह चर्चा है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ करने के बाद कहीं कांग्रेस (congress) खुद ही तो सुस्त नहीं पड़ गई है।

क्योंकि विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा ने विधानसभा पराजय के बाद से लगातार संगठन को मजबूत करके विधानसभा में मिली करारी हार का बदला लेनेक के लिए अब नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव के लिए कमर कस ली है। भाजपा ने देश के साथ ही पूरे प्रदेश में सदस्यता अभियान छेड़कर अधिक से अधिक लोगों से सीधे संपर्क किया है।

भाजपा का गोपनीय सर्वे पूरा

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भाजपा (bjp) की ओर से बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम भी जोरों पर है। आगामी निकाय चुनावों को लेकर भी पार्टी लगातार अपने कार्यकर्ताओं की बैठक व गोपनीय सर्वे का कार्य तक पूर्ण कर चुकी है और पूरे जोश के साथ नगरीय निकाय चुनाव में ताल ठोंकने मैदान में आने वाली है।

कांग्रेस में अब भी गुटबाजी चरम पर

जिले की राजनीति में चर्चा है कि भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने में अहम भूमिका निभाने वाले कांग्रेस कार्यकर्ता गुमनामी के अंधेरे में खो रहे हैं। ये लोग जनप्रतिनिधि से लेकर जिला स्तरीय नेताओं की उपेक्षा के चलते नाराज चल रहे हैं।

भीतराघात की आशंका भी

यहीं नहीं गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले और फोटो सेशन वाले नेताओं की पूछ परख बढऩे से समर्पित कार्यकर्ताओं ने पार्टी के कार्यक्रमोंं से दूरी बनाकर कांग्रेस के भीतर गुटबाजी व अंतर्कलह की पोल खोल दी है। ऐसे में कांग्रेस के लिए निकाय चुनाव आसान नहीं दिख रहे हैं और चुनाव के दौरान भीतराघात की आशंका भी पार्टी की बेचैनी बढ़ा सकती है ।

कांकेर में खुद का भवन तक नहीं

देश की सबसे बड़ी पार्टी रही कांग्रेस पिछले 70 साल में कांकेर में अपना भवन तक नहीं बना सकी। जबकि कांग्रेस के केंद्र व राज्य की सत्ता में रहने के दौरान पार्टी के जिले से प्रतिनिधित्व करने वाले जनप्रतिनिधि दोनों ही सरकारों में मंत्री हुआ करते थे। लेकिन आज तक कांकेर जिला मुख्यालय में कांग्रेस का खुद का भवन तक नहीं है आज भी कांग्रेस भवन किराए के मकान में ही है। यहीं से चुनावों का संचालन भी होता है।

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