-यूरिया की नकली बकेट खुदरा बाजार में बेच कर लाखों कमा रहे
नई दिल्ली/नवप्रदेश। fake urea fertilizer: हिंदुस्तान कृषि प्रधान देश है। यहां अधिकतर लोग किसान हैं और खेती के माध्यम से अपना और देश का पेट भरते हैं। पिछले कई सालों से खेती के तरीके और उपकरणों में बहुत तेजी से बदलाव आया है जिसके चलते अब खेती करना काफी लाभदायक और आसान हो गया है।
भारत की सरकार भी किसानों को बढ़ावा देने के लिए कई प्रकार की स्कीम भी चला रही। किसान ज्यादा से ज्यादा मुनाफ कमा सके और देश की जनता शुद्ध और अच्छी किस्म का अनाज खा सके। फ सल अच्छी और बढिय़ा हो उसके लिए किसान यूरिया का इस्तेमाल करता है और यूरिया फसल की किस्म बढ़ाने में अहम रोल होता है परन्तु कई मिलावटी और घटिया खाद्य उत्पादन के जरिए हमारी पीढिय़ों को बर्बाद करना चाहते है।
ऐसा ही एक गंभीर मामला छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले से सामने आया है। जहां कुछ लोग कृषि उत्पाद और सबसे जरूरी यूरिया जिसके बिना अच्छी किस्म की फसल का उगना लगभग असंभव होता है उसी यूरिया की नकली बकेट खुदरा बाजार में बेच रहे थे और लाखों कमा रहे थे।
जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ के टाटा कंपनी के ईआईपीआर अटारनी होल्डर राजेश पिता पारस रविदास ने शिकायत दर्ज कराई है कि राजनांदगांव के चिचोला क्षेत्र के कुछ दुकानों में टाटा कंपनी के नाम पर नकली डीएएफ यूरिया (लिक्विड) खाद बिकने की शिकायत मिली है।
प्रार्थी की शिकायत पर टाटा कंपनी के एक्सपर्ट के साथ पुलिस सुपर इलेक्ट्रॉनिक वर्कशॉप, मां कर्मा ट्रक श्रृंगार रानीतलाब, जायसवाल किराना रानीतलाब और यूपी प्रतापगढ़ ढाबा पाटेकोहरा में रेड कार्रवाई की। इस दौरान इन चारों दुकानों से 85 बाल्टी नकली यूरिया जब्त किया गया है।
पुलिस ने इस मामले में दुकानदार नवाज शरीफ पिता अमर हुसैन निवासी पाटेकोहरा, नईमुद्दीन अंसारी उर्फ मुन्ना पिता गफ्फ ार निवासी सड़क बंजारी, संतोष साहु पिता चमरू राम निवासी कुहीकोड़ा और नरेश साहू पिता सरजू निवासी रानीतलाब को टाटा डीएएफ यूरिया के बाल्टी की जगह नकली खुद से स्टीकर एवं सील लगाकर टाटा डीएएफ यूरिया का विक्रय के मामले में गिरफ्तार किया।
सभी दुकानदार सप्लायर से टाटा कंपनी के नाम से लिक्विड यूरिया खरीदी कर बेच रहे थे। मामले की कड़ाई के साथ जांच करने पर बड़े रैकेट का खुलासा होने की संभावना है।