Competition among parties to distribute free Revadi: नई दिल्ली विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों के बीच फ्री रेवड़ी बांटने की होड़ लग गई है। मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने वाली लोकलुभावन घोषणाके मामले में सभी राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे को मात दे रहीं हैं। फ्री रेवड़ी कल्चर की जनक आम आदमी पार्टी इस मामले में सबसे आगे है। उसकी देखा देखी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने भी फ्री रेवड़ी की बरसात कर दी है।
गौरतलब है कि नई दिल्ली विधानसभा के पिछले दो चुनाव आम आदमी पार्टी ने मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने वाली घोषणा की बदौलत ही प्रचंड बहुमत से जीता था। यही नहीं बल्कि यह फ्री वाला फार्मूला उसने पंजाब में भी अपनाया था और इसी वजह से आम आदमी पार्टी दो तिहाई बहुमत से पंजाब में भी अपनी सरकार बनाने मेें सफल हुई थी। इस बार का विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है।
वहां के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित पार्टी के कई के दिग्गज नेता भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे हुए हैं वे जेल की भी हवा खा चुके हैं। और जमानत पर छूटे हुए हैं। दस साल की सरकार के खिलाफ एन्टीइंकमबेन्न्सी का भी खतरा बना हुआ है। उपर से अब कांग्रेस पार्टी भी पूरे दम खम के साथ चुनाव मैदान में ताल ठोक रही है। जिसकी वजह से आम आदमी पार्टी को अपने वोट बैंक में सेंध लगने का भय सता रहा है। यही वजह है कि आम आदमी पार्टी ने मुफ्तखोरी को बढ़ाने वाली योजनाओं की भरमार कर दी है।
आम आदमी पार्टी खासतौर पर महिला वोटरों को लुभावने की कोशिश कर रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को महिलाओं के 60 प्रतिशत मत मिले थे। जिसकी एक बड़ी वजह यह थी कि आम आदमी पार्टी ने नई दिल्ली में महिलाओं के लिए फ्री बस यात्रा की घोषणा पर अमल किया था। नतीजतन, उसे आधे से ज्यादा महिलाओं के वोट हासिल हुए थे। जबकि भाजपा को 35 प्रतिशत वोट मिले थे और कांग्रेस को मात्र 13 प्रतिशत महिलाओं के वोट मिले थे।
महिला वोटरों को साधने के लिए ही आम आदमी पार्टी ने इस बार महिलाओं को 2100 रुपये महीना देने की घोषणा की है और इसके लिए बकायादा महिलाओं से फॉर्म भी भरवा लिये गये हैं। यही वजह है कि महिलाओं को लुभाने के लिए कांग्रेस और भाजपा ने भी महिलाओं को ढाई हजार रुपए देने का ऐलान कर दिया है। जो आम आदमी पार्टी से चार सौ रुपए अधिक है।
कांग्रेस और भाजपा की इस घोषण पर तंज कसते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि कांग्रेस और भाजपा के नेताओं के पास अपनी कोई सोच नहीं है। ये दोनों ही पार्टियां आम आदमी पार्टी के घोषणा पत्र की नकल कर रही हैं। हमारी घोषणाओं को ये लोग फ्री रेवड़ी बताते थे और वे आज खुद ही फ्री रेवड़ी कल्चर को अपनाने पर बाध्य हो गये हैं।
केजरीवाल का कहना है कि नई दिल्ली के मतदाता बहुत जागरूक हैं, वे कांग्रेस और भाजपा के कथनी और करनी के अंतर को समझ चुके हैं कि बोलते कुछ हैं और करते कुछ हैं। जबकि आम आदमी पार्टी जो भी घोषणा करती है उस पर अमल करती है इसलिए नई दिल्ली के मतदाताओं का आम आदमी पार्टी को ही समर्थन मिलेगा। कुल मिलाकर अब नई दिल्ली में फ्री रेवड़ी बांटने का खुला खेल चल रहा है। भाजपा ने तो एक कदम और आगे बढ़कर गरीब महिलाओं को 500 रुपए में गैस सिलेंडर देने की भी घोषण कर दी है।
कांग्रेस भी इसी तरह की लोकलुभावन घोषणाएं कर रही है। तीनों ही पार्टियों के बीच इस बात को लेकर प्रतिपस्र्धा चल रही है कि वोट कबाडऩे के लिए कौन कितना ज्यादा प्रलोभन परोसता है? दरअसल मुफ्त रेवड़ी कल्चर पर रोक लगाने में चुनाव आयोग विफल रहा है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने भी मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने वाली घोषणाओं पर चिंता जाहिर की थी। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी कई बार यह चुके हैं कि फ्री रेवड़ी कल्चर देश की अर्थव्यवस्था के लिए घातक है। किन्तु इस रो लगाने के लिए अभी तक किसे ने भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
नतीजतन अब आम आदमी पार्टी की तरह ही अन्य राजनीतिक पार्टियां भी फ्री रेवड़ी कल्चर को बढ़ावा दे रहीं हैं। और इसका चुनाव में उन्हें लाभ भी मिल रहा है। जिस तरह आम आदमी पार्टी फ्री वाले फॉर्मूले को अपनाकर नई दिल्ली और पंजाब में अपनी सरकार बनाई उसी तरह कांग्रेस ने भी इसी फॉर्मूले को अपनाकर कर्नाटक और कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में अपनी सरकार बना ली। यह बात अलग है कि मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने वाली ऐसी घोषणाओं को अमलीजामा पहनाने के कारण पंजाब, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश दिवालिएपन की कगार पर पहुंच गये हैं।
इन तीनों ही राज्यों में विकास कार्यों के लिए पर्याप्त धन राशि उपलब्ध नहीं हो पा रही है। यहां तक की हिमाचल प्रदेश में तो सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने के भी लाले पड़ गये हैं। ये तीनों ही राज्य कर्ज में डूबते जा रहे हैं। इसके बाद भी हर राजनीतिक पार्टी वोटरों को प्रलोभन परासेने में पीछे नहीं है। इस बात की उन्हें कतई कोई चिंता नहीं है कि फ्री रेवड़ी कल्चर के कारण सरकारी खजाने पर कितना बोझ बढ़ेगा। उन्हें तो बस चुनाव में जीत चाहिए जिसके लिए कोई भी किमत क्यों न चुकानी पड़े।
इस फ्री रेवड़ी कल्चर के कारण वह मतदाता खुद को ठगा हुआ महसूस करता है, जो टैक्स पटाता है। उसके टैक्स के पैसों से प्रदेश के विकास कार्यों को गति मिलनी चाहिए। लेकिन उनके गाढ़े खून पसीने की कमाई को ये राजनैतिक पार्टियां मुफ्तखोरी का बढ़ावा देने वाली योजनाओं पर पानी की तरह बहा देती है। अब समय आ गया है कि फ्री रेवड़ी कल्चर पर रोक लगाने कारगर कदम उठाये जाएं।