विकास श्रीवास्तव, रायपुर/नवप्रदेश। Real Estate : छत्तीसगढ़ में इन दिनों सत्ता को साधने के नए-नए जतन देखने को मिल रहे हैं। कुछ नामचीन संस्थान सरकार से नजदीकियां बढ़ाकर आम लोगों के नाम पर खुद का हित साधने की जुगत में हैं। फिलहाल हम बात कर रहे हैं रियल एस्टेट कारोबार की। बीते दिन ही कन्फ्रेडरेशन आफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन आफ इण्डिया (क्रेडाई)ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सम्मान में आयोजन किया। और इसी दौरान अपनी मांगों का पुलिंदा भी सौंप दिया।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसी आयोजन के दौरान कहा कि सरकार का काम सिर्फ राजस्व वृद्धि नहीं, लोगों के सपनों को पूरा करना होना चाहिए। सीएम की इस मंशा पर रियल एस्टेट कारोबारी ही अपने विरोधाभाषी प्रयासों से ग्रहण लगाने को लालायित हैं। इसे इस तरह भी समझ सकते हैं कि क्रेडाई रियल एस्टेट कारोबारियों के हितों को लेकर बनाई गई संस्था है। सीधेतौर पर आम लोगों के हितों से इनका वास्ता शायद ही हो।
पंजीयन शुल्क घटाकर सरकार ने दी राहत
इधर सीएम का मानना है कि सरकार ने प्रदेशवासियों को राहत देने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। इसमें जमीन के लिए कलेक्टर गाइडलाइन की दरों में वृद्धि न करने से लेकर जीएसटी में भी राहत प्रदान की गई। इसी तरह कोरोना काल में भी राज्य सरकार के प्रयासों से मध्यम वर्ग तथा गरीब वर्ग के लोगों ने भी अपने घर के सपने को पूरा किया। गाइडलाइन की दरों में कमी से रियल एस्टेट (Real Estate) में इन्वेस्टमेंट बढ़ा है। सरकार ने 75 लाख रुपए तक के मकानों की बिक्री पर पंजीयन शुल्क घटाकर 2 फीसदी कर दिया गया है। इसी तरह तैयार मकानों में जीएसटी 12 से घटाकर 5 और 45 लाख तक के मकानों पर 8 से घटाकर 1 कर दिया गया है। इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ में विकसित प्लाट पर जीएसटी लागू नहीं है।
सरकार को साधने क्रेडाई की कवायद
क्रेडाई छत्तीसगढ़़ सहित कई रियल एस्टेट कारोबारी इन सभी छूट का लाभ आम जनता को होने का दावा करते हैं। रजिस्ट्री के खर्च से मकान खरीदना महंगा हो जाता है ऐसा बताया जाता है। इतना ही नहीं जमीन की प्राइवेट और सरकारी कीमतों में अंतर की भी दुहाई दी जाती है। सवाल यह है कि क्या रियल एस्टेट कारोबारी अपने प्रोजेक्ट में स्वंय के लाभ को कम करते हुए रजिस्ट्री की कीमत को जोड़कर कीमत तय नहीं कर सकते हैं। ऐसे में सरकार को राजस्व का नुकसान होने के स्थान पर फायदा होगा। वहीं आम जनता को वह लाभ भी मिल सकेगा जिसकी मंशा सरकार की है।
मध्यम व गरीब वर्ग का मापदंड क्या ?
इससे भी अधिक हैरत की बात यह है कि 75 लाख व 45 लाख के मकान खरीदने वाले ऐसे कौन सा मध्यम वर्ग व गरीब वर्ग है। रियल एस्टेट (Real Estate) कारोबारियों पर इडब्लूएस एलआईजी या कहें सस्ते मकान व फ्लैट बनाने की जिम्मेदारी है या नहीं। यदि है तो उसकी स्थिति क्या है और नहीं तो क्यों नहीं। सरकार और निवेशक दोनों तरफ से लाभ लेना ही इनका उद्देश्य है या प्रदेश के प्रति इनकी भी जिम्मेदारी बनती है।
Real Estate सम्मान समारोह के आयोजन पर सुलगते सवाल
छत्तीसगढ़ में व्यापारियों (Real Estate) की सबसे प्रमुख संस्था छत्तीसगढ़ चेम्बर आफ कामर्स एण्ड इण्डस्ट्रीज चंद दिनों पहले ही मुख्यमंत्री का सम्मान कर चुकी है। ऐसे में कुछ उसी तर्ज पर सम्मान समारोह के आयोजन पर सवाल उठने लाजिमी हैं। गौर करने की बात यह है कि कुछ दिनों पहले ही क्रेडाई ने एक प्रेसवार्ता के जरिए एक तीन दिवसीय एक्सपो की बात सबके सामने रखी है। और आने वाले दिनों में इसके बड़े आयोजन की तैयारी है।
क्रेडाई के कार्यक्रम में दिग्गजों की मौजूदगी
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ नगरीय प्रशासन मंत्री डा. शिवकुमार डहरिया, नान के अध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, विधायक सत्यनारायण शर्मा, अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष महेन्द्र छाबड़ा, छत्तीसगढ़ राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन, रायपुर नगर निगम के महापौर एजाज ढेबर, रायपुर नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, कलेक्टर सौरभ कुमार भी उपस्थित रहे।
गांव से शहर तक विकास ही विकास – CM भूपेश
मुख्यमंत्री बघेल ने इस आयोजन के दौरान यह भी कहा कि, उनकी सरकार का उद्देश्य किसी एक क्षेत्र में ही विकास करना नहीं है, बल्कि जिस तरह के एक घर बनाने के लिए पूरी प्लानिंग होती है वैसे ही सरकार ने योजनाबद्ध तरीके से चहुमुंखी विकास की दिशा में सभी क्षेत्रों में समन्वियत प्रयास किया।
उन्होंने कहा कि पहले छत्तीसगढ़ की पहचान नक्सलगढ़ के रूप में होती रही है लेकिन प्रदेश के सभी लोगों ने मिलकर बहुत कम समय में नयी पहचान दिलाने का काम किया। इसके लिए राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव हो या किसानों की कर्ज माफी जैसे काम सरकार ने किए, साथ ही कई ऐसी योजनाएं शुरू की गई, जिससे आज अंतरराष्ट्रीय स्तर हमारी सकारात्मक पहचान बनी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि, पहले उन्हें लेकर लोगों की मानसिकता थी कि वे सिर्फ गांव और ग्रामीणों के बारे में सोचते हैं लेकिन अब चेम्बर आफ कामर्स जैसी संस्था ने भी मान लिया है कि हमारी सरकार ने गांव से लेकर शहरी क्षेत्रों में अपनी योजनाओं के जरिए आम लोगों के जेब में पैसा डालने का काम किया है, जिससे व्यापारिक वर्ग को भी लाभ पहुंचा है।
सर्वहारा वर्ग के साथ सरकार
कुल मिलाकर भूपेश सरकार के तीन साल के कामकाज से साफ है कि सीएम बघेल को महज गांव, गरीब और किसानों की फिक्र है ऐसा नहीं है। उनकी सरकार सर्वहारा वर्ग के लिए कुछ न कुछ अच्छा करने की कोशिशों में जुटी हुई है। उद्योग जगत से लेकर व्यापारी वर्ग (Real Estate) भी उनके फैसलों से उत्साहित हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का गांव, गरीब और किसान के प्रति नजरिया स्पष्ट है। उनके प्रयासों को देश भर में सराहना मिल रही है।
फ्रेम और आउट आफ फ्रेम का प्रेम
इस कार्यक्रम में फोटो खिचवानें की होड़ कुछ यूं हुई कि नगरीय प्रशासन मंत्री ही आउट आफ फ्रेम होते- होते बचे। वहीं क्रेडाई के बड़े पदाधिकारी खुद को सीएम के नजदीक से नजदीक आने के लिए कोशिशों में लगे रहे। हालांकि इसे इत्तेफाक भी कहा जा सकता है। बावजूद इसके अहम यह है कि किसी व्यवस्थित कार्यक्रम में प्रदेश के कैबिनेट मंत्रियों या मंचासीन गणमान्य नागरिकों और सरकार के नुमांइदों के साथ ऐसी परिस्थतियां उत्पन्न ही कयों हों?