राज्य में 29 नई तहसीलों और 4 नए अनुविभागों का गठन – मुख्यमंत्री
रायपुर/नवप्रदेश। CM Lokvani : छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल ने रविवार को अक्श्वनी केंद्रों से प्रसारित ‘‘लोकवाणी‘‘ की 20वीं कड़ी में ‘‘आदिवासी अंचलों की अपेक्षाएं और विकास‘‘ विषय पर प्रदेशवासियों से बात-चीत की। कार्यक्रम के शुरुआत में प्रदेशवासियों को पारंपरिक हरेली तिहार की बधाई और शुभकामनाएं दी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रेडियो वार्ता के दौरान कहा कि छत्तीसगढ़ी संस्कृति के अनुसार हरेली साल का पहला त्यौहार है। इस दिन अपने गांव-घर, गौठान को लीप-पोत कर तैयार किया जाता है। गौमाता की पूजा की जाती है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़िया भावना को ध्यान में रखते हुए हरेली सहित पांच त्यौहारों में सरकारी छुट्टी घोषित की गई है। उन्होने विश्व आदिवासी दिवस की बधाई देते हुए कहा कि हमारी सरकार बनने के बाद प्रदेश में पहली बार विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। इससे सभी लोगों को आदिवासी समाज की परंपराओं, संस्कृतियों और उनके उच्च जीवन मूल्यों को समझने का अवसर मिला है। मुख्यमंत्री बघेल ने प्रदेशवासियों को अगस्त माह में आने वाले त्यौहार हरेली, नागपंचमी, राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस, ओणम, राखी, कमरछठ और कृष्ण जन्माष्टमी की भी बधाई दी।
29 नई तहसीलों और 04 अनुविभागों का गठन
मुख्यमंत्री ने श्रोताओं के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि ढाई वर्षों में 29 नई तहसीलें और 4 नए अनुविभाग गठित किए हैं, उनमें से अधिकतर आदिवासी अंचल में ही हैं। कोरिया जिले में पटना के साथ चिरमिरी और केल्हारी तहसीलें भी गठित की गई हैं। इसके अलावा कबीरधाम जिले में रेंगाखार-कला, सरगुजा जिले में दरिमा, बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में रामचंद्रपुर, सामरी, सूरजपुर जिले में लटोरी, बिहारपुर, जशपुर जिले में सन्ना और सुकमा जिले में गादीरास आदि प्रमुख हैं। इसी तरह चार नवीन अनुविभागों में दंतेवाड़ा का बड़े बचेली और बस्तर का लोहंडीगुड़ा शामिल है। बरसों पुरानी मांग को ध्यान में रखते हुए गौरेला – पेण्ड्रा – मरवाही को जिला ही नहीं बनाया गया बल्कि आदिवासी बहुल आबादी वाले इस क्षेत्र को उनका हक भी दिया गया।
52 वनोपज की समर्थन मूल्य पर खरीदी
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य गठन से हमें लगा था कि आदिवासी अंचलों और शेष क्षेत्रों के बीच विकास का अंतर दूर कर लिया जाएगा, लेकिन हमने देखा कि विगत वर्षों में यह अंतर और भी अधिक बढ़ गया है। इसलिए हमने सबसे पहले विश्वास जीतने की बात की। इसके लिए निरस्त वन अधिकार पट्टों के दावों की समीक्षा, जेल में बंद आदिवासियों के प्रकरणों की समीक्षा कर अपराध मुक्ति, बड़े उद्योग समूह के कब्जे से आदिवासियों की जमीन वापस लौटाने का निर्णय, तेंदूपत्ता संग्रहण दर 2500 रुपए से बढ़ाकर 4 हजार रुपए प्रति मानक बोरा करने का निर्णय लिया गया। इससे आदिवासी अंचलों में सरकार और व्यवस्था के प्रति विश्वास का नया दौर शुरू हुआ है। CM ने कहा कि 7 से बढ़ाकर 52 वनोपज को समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था की, पुरानी दरों को भी बदला जिसके कारण वनोपज संग्रह से ही 500 करोड़ रुपए से अधिक अतिरिक्त सालाना आमदनी का रास्ता बन गया। अनुसूचित क्षेत्रों में कोदो, कुटकी, रागी जैसी फसलों को भी समर्थन मूल्य पर खरीदने के इंतजाम किए गए हैं तथा लाख को कृषि का दर्जा दिया गया है। वन अधिकार मान्यता पत्रधारी परिवारों के खेतों में उपजे धान को भी समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था की गई है। देवगुड़ी और घोटुल स्थलों का विकास कर आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों का जाल
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 16 हजार करोड़ रुपए की लागत से सड़कों का निर्माण किया जा रहा है, जिससे हमारे आदिवासी अंचलों को सैकड़ों ऐसी सड़कें मिलेंगी, जिनका इंतजार वे दशकों से कर रहे थे। नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में संपर्क बहाल करने के लिए हम 1 हजार 637 करोड़ रुपए की लागत से सड़कें बना रहे हैं। आदिवासी अंचलों में बिजली की सुविधा देने के लिए अति उच्च दाब के चार वृहद उपकेन्द्र का निर्माण पूरा कर लिया गया है।
छत्तीसगढ़ को मिला 11 राष्ट्रीय पुरस्कार
मुख्यमंत्री बघेल ने बताया कि बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा में एक बड़े उद्योग की स्थापना के नाम से ली गई आदिवासियों की जमीन वापसी की घोषणा के साथ आदिवासियों को न्याय दिलाने का सिलसिला शुरू हो गया है। 10 गांवों के 1 हजार 707 किसानों को 4 हजार 200 एकड़ जमीन के दस्तावेज प्रदान किए जा चुके हैं। कोण्डागांव में मक्का प्रोसेसिंग इकाई का शिलान्यास किया गया है। प्रदेश में 146 विकासखण्डों में से 110 विकासखण्डों में फूडपार्क स्थापित करने हेतु भूमि का चिन्हांकन तथा अनेक स्थानों पर भूमि हस्तांतरण भी किया जा चुका है। भारत सरकार की संस्था ट्रायफेड द्वारा 6 अगस्त को छत्तीसगढ़ को लघु वनोपज की खरीदी तथा इससे संबंधित अन्य व्यवस्थाओं के लिए 11 राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए गए हैं। यह हमारे आदिवासी अंचलों के साथ पूरे प्रदेश के लिए भी गौरव का विषय है।
शिक्षक-शिक्षिकाओं की नियुक्ति
सीम बघेल ने बताया कि शिक्षा के लिए हमने संकटग्रस्त क्षेत्रों पर ज्यादा फोकस किया। जिसके कारण सुकमा जिले के जगरगुंडा में 13 वर्षों से बंद स्कूल बीते साल खुल चुका है। कुन्ना में स्कूल भवन का पुनर्निर्माण तथा दंतेवाड़ा जिले के मासापारा-भांसी में भी 6 सालों से बंद स्कूल अब खुल गया है। कोरोना काल में पढ़ाई तुंहर पारा अभियान के तहत लाखों बच्चों को उनके गांव-घर-मोहल्लों में खुले स्थानों पर भी पढ़ाया गया। प्रारंभिक कक्षाओं में बच्चों को मातृभाषा में समझाना अधिक आसान होता है इसलिए हमने 20 स्थानीय बोली-भाषाओं में पुस्तकें छपवाईं, जिसका लाभ आदिवासी अंचलों में मिला। बीस साल बाद प्रदेश में 14 हजार 580 शिक्षक-शिक्षिकाओं की नियुक्ति आदेश दे दिए गए हैं। इससे आदिवासी अंचलों में भी शिक्षकों की कमी स्थायी रूप से दूर हो जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कोरोना की ‘तीसरी लहर’ को लेकर सभी से बहुत सावधान रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि पर्व-त्यौहार मनाते समय फिजिकल डेस्टिेंसिंग का पालन करें, मास्क का उपयोग करें, हाथ को साबुन-पानी से धोते रहें तथा टीका जरूर लगवाएं। खुद को बचाए रखना ही सबसे जरूरी उपाय है।