रायपुर/नवप्रदेश। Farmers Honored : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सोमवार को राज्य स्तरीय प्रगतिशील कृषक सम्मेलन में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने इस सम्मेलन में राज्य स्तर पर कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले उन्नत एवं प्रगतिशील कृषकों, स्व-सहायता समूहों और संस्थाओं को सम्मानित भी किया। इसके बाद मुख्यमंत्री के साथ एक निजी चैनल ने छत्तीसगढ़ के कृषि उन्मुख कार्यों के लिए चर्चा की।
सीएम भूपेश ने इस अवसर पर कहा कि “छत्तीसगढ़ में बीते तीन साल में भी किसानों (Farmers Honored) के खेतों का रक़बा भी बढ़ा और किसानों की संख्या भी बढ़ी। यह इसलिए हो पाया क्योंकि अब किसानों को विश्वास हो गया कि किसानी भी लाभदायक है।
उन्होंने कहा कि हमारी परंपरा को हमने अर्थ से जोड़ा है, आज छत्तीसगढ़ में चरवाहा की आय किसी नौकरी पेशा से अधिक हो गई है। हमारी प्राचीन परम्परा को लेकर हम संकोच न करें उन्हें हम आगे बढ़ाए। हमने छत्तीसगढ़ में लोगों को अपनी परम्परा और संस्कृति से फिर से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। अब लोग यहाँ गौरवान्वित महसूस करते हैं।
सीएम भूपेश संस्कृति से जोड़कर किए जा रहे कार्य को अपने व्यक्तित्व के बजाय अपनी परम्परा से जुड़े रहने का प्रयास बताया। चाहे वो छेरछेरा हो, पुन्नी हो या तीजा-पोरा, इन सभी त्योहारों से भावना जुड़ी है और यहाँ इन त्योहारों में गौरव का भाव है। उन्होंने कहा कि हमने कचरा इकट्ठा करने को भी अर्थ से जोड़ा जिससे अब यहाँ कचरा इकट्ठा करने वालों को रोज़गार मिला है तो साथ ही कचरा प्रबंधन में मदद मिल रही है। इसीलिए छत्तीसगढ़ ने लगातार तीसरी बार स्वच्छतम प्रदेश का अवार्ड लिया।
गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ (Farmers Honored) सबको साथ में लेकर चलने का नारा है। सभी को लगना चाहिए कि छत्तीसगढ़ हमारा है। समावेशी विकास को लेकर हम चल रहे हैं यही है हमारा “गढ़बो नवा छत्तीसगढ़”- बात है स्वाभिमान के-छत्तीसगढ़ के अभिमान के।
कोरोना काल में भी दूसरे राज्यों में उद्योग लगभग बंद हो गए थे,लेकिन छत्तीसगढ़ में चुनती तो रही मगर प्रयास भी सफल रहे। इस दौरान उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने जितना काम किया किसी और सरकार ने नहीं किया। आज जितनी भी महंगाई बढ़ी है उसके पीछे बड़ा कारण ट्रांसपोर्टेशन है।
फ़ैक्ट्री में जो माल का उत्पादन होता है उसका दाम फ़ैक्ट्री मालिक तय करता है। उसकी पैकिंग में लिखा होता है एमआरपी, लेकिन किसान ही ऐसा शख़्स है जो अपने उत्पादन का रेट तय नहीं कर पाता। हमने सुराजी ग्राम योजना के जरिए गाँव, गरीब और किसानों के लिए स्वावलंबन का काम किया है।