मासिक रेडियो कार्यक्रम लोकवाणी में ‘नगरीय विकास का नया दौर’ विषय पर दिए जनता के सवालों के जवाब
रायपुर/नवप्रदेश। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (cm bhupesh baghel) ने अपने मािसक रेडियो कार्यक्रम लोकवाणी (lokwani) में गिरते भू-जल स्तर (dipping water level) पर चिंता (concern) जताई। कहा कि कहा कि छत्तीसगढ़ को तरिया का, तालाबों का, जलाशयों का, नदियों-नालों का, जलप्रपातों का प्रदेश कहा जाता रहा है।
लेकिन विडम्बना है कि एक लंबे अरसे तक सही सोच और सही योजना के बिना ही निर्माण कार्य किए जाते रहे। जिनकी वजह से हमारी जमीन की रिचार्जिंग क्षमता कम होती गई और भू-जल स्तर गिरते-गिरते अब खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने नियमों में संशोधन कर अब वाटर हार्वेस्टिंग (water harvesting) की व्यवस्था अनिवार्य की है।
मुख्यमंत्री बघेल (cm bhupesh baghel) रविवार को यह बात रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘लोकवाणी’ (lokwani) के चौथे प्रसारण में बोल रहे थे। उन्होंने ‘नगरीय विकास का नया दौर’ विषय पर प्रदेश की जनता के सवालों का जवाब दिया। उन्होंने नगरीय क्षेत्रों में शासन द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों एवं कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी। कहा कि शहरों का नियोजित विकास, उत्साह से भरपूर और खुशनुमा वातावरण का निर्माण हमारी प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री ने लोगों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि नगरीय क्षेत्रों में वर्षा जल संचय और नागरिकों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने अनेक योजनाओं संचालित हैं। उन्होंने कहा कि सच में भू-जल स्तर (dipping water level) का गिरना चिंता (concern) का विषय है।
गिरते भू-जल स्तर के ये बताए कारण
- मुख्यमंत्री ने कहा कि िगरते भू-जल स्तर का सबसे बड़ा कारण हमारे शहरों का विकास, सीमेंट कांक्रीट के जंगल की तरह किया जाना है।
- शहरों के बहुत से हिस्से, घरों, व्यवसायिक भवनों, सड़कों आदि के कारण इतने ठोस हो गए हैं कि बरसात का पानी भी जमीन के भीतर नहीं जा पाता।
- भूमिगत जल स्तर को बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है कि सतह का पानी रिस-रिसकर जमीन के भीतर जाए।
- लंबे अरसे तक सही सोच और सही योजना के बिना ही निर्माण कार्य किए जाते रहे हैं। ऐसे निर्माण कार्यों की वजह से हमारी जमीन की रिचार्जिंग क्षमता कम होती गई और भू-जल स्तर गिरते-गिरते अब खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है।
सरकार द्वारा इससे निपटने के उपाय भी बताए
- मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने नियमों में संशोधन करके अब प्रत्येक आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक परिसर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य कर दिया है। पूर्व में निर्मित भवनों में भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग (water harvesting) की व्यवस्था की गई है।
- छह प्रकार की रेन वाटर हार्वेस्टिंग यूनिट की दर राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की गई है। सैकड़ों एजेंसियों तथा स्व-सहायता समूहों को आगे किया गया है कि वे एक माह के भीतर सभी जगह रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था करें।
- -हम चाहते हैं नए भवनों में बिजली कनेक्शन भी तभी दिया जाए, जब रेन वाटर हार्वेस्टिंग की यूनिट वहां लगा दी जाए।
- ‘नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना’ से शहरों को जोड़ने का कार्य शुरू हो गया है। ‘वी-वायर इंजेक्शन वेल’ के माध्यम से भू-जल की रिचार्जिंग की परियोजना बनाई गई है।
जनता से पुराने कुओं की साफ- सफाई की अपील
मुख्यमंत्री ने प्रदेश की जनता से, स्थानीय प्रशासन से, जिला प्रशासन से, स्वयंसेवी संगठनों से अपील की कि पुराने कुओं की साफ-सफाई कराएं। पुराने कुओं को जाली आदि लगाकर सुरक्षित करें ताकि इससे कोई दुर्घटना न हो। उन्होंने कहा कि आजकल छोटे भू-खण्डों पर घर बनाए जाते हैं, जिसमें कुओं का निर्माण कठिन होता है, इसीलिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग की प्रणाली अपनाई जाती है, लेकिन जहां पुराने कुएं हैं, उनका पूरा सम्मान और व्यवस्था हो।
सुपेबेड़ा का भी जिक्र
बघेल ने कहा कि हमारी सरकार बनते ही 212 करोड़ रुपए की लागत से रायपुर शहर वृहद पेयजल आवर्धन योजना की शुरुआत कर दी गई है। घरेलू पेयजल कनेक्शन से वंचित बीपीएल परिवारों के लिए ‘मनीमाता अमृतधारा नल योजना’ शुरू की गई है। आपदाग्रस्त स्थानों अर्थात जहां भू-जल प्रदूषित है, वहां सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए ‘मुख्यमंत्री चलित संयंत्र पेयजल योजना’ शुरू कर दी गई है। सुपेबेड़ा में तेलनदी का जल शुद्ध करने के लिए ‘सुपेबेड़ा जल योजना’ शुरू की गई है। बरसों से लंबित खारून सफाई योजना को मंजूरी दी गई है। बस्तर की जीवनदायनी इंद्रावती नदी के संरक्षण के लिए प्राधिकरण का गठन किया गया है।
मुख्यमंत्री की अन्य बड़ी बातें
पार्षद मुखिया चुनेंगे तो निर्बाध रूप से होगा विकास
मुख्यमंत्री ने इस बार नगरीय निकायों के चुनावों की प्रक्रिया में किए गए संशोधन के संबंध में बताया कि महापौर या अध्यक्ष के दोनों पद प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री की तरह एग्जीक्यूटिव पद हैं। यदि पार्षदों का समर्थन नहीं मिलता तो नगर का विकास ठप पड़ जाता है। पार्षद जब अपना मुखिया चुनेंगे तो नगरीय विकास का काम निर्बाध रूप से पूरा होगा। जब 21 साल में कोई पार्षद बन सकता है तो मेयर क्यों नहीं बन सकता। हमें युवाओं को सम्मान देना, युवाओं को जिम्मेदारी देना, युवाओं पर भरोसा करना सीखना होगा।
मछुआ सहकारी समितियों की बढ़ेगी आय
मुख्यमंत्री ने बताया कि नगरीय निकायों के तालाबों से मछुवारों को दूर किया गया था। हम चाहते हैं कि मछुवा सहकारी समितियों को ये तालाब दिये जाएं, जिससे तालाबों की देखरेख भी होगी। नियमित सफाई होगी। मछलियां पाली जायेंगी। मछुवारों की आय बढ़ेगी और नगरीय निकायों को राजस्व भी मिलेगा।
हमारी माटी के दीयों से रोशन हुई दिल्ली
समन्वय की अर्थव्यवस्था हमारी बसाहटों में खुशहाली का आधार थी। आधुनिक बाजार व्यवस्था में यह परम्परा टूट रही थी। इसलिए हमने नगरीय-निकायों में ‘पौनी-पसारी’ बाजार व्यवस्था का संरक्षण तथा संवर्धन करने का निर्णय लिया है। मुझे खुशी है कि इस दिवाली में हमारी माटी के दीयों से छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि दिल्ली भी रोशन हुई है।
बीमार लोगों तथा कुपोषित माताओं, बहनों एवं बच्चों तक पहुंची सरकार
मुख्यमंत्री ने कहा कि पीड़ितों, हताश-निराश, बीमार लोगों व कुपोषित माताओं, बहनों, बच्चों तक पहुंचना सरकार का काम है। शहरी बस्तियों के लोग अपनी रोजी-रोटी के लिए इतने व्यस्त रहते हैं कि अपनी बीमारियों की अनदेखी करते हैं। इसलिए हमने मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य केन्द्रों तथा अन्य शासकीय योजनाओं के माध्यम से यह तय किया कि शहरी बस्तियों के लोग अस्पताल नहीं पहुंच पाते तो अस्पताल उनके घर के पास पहुंच जाए। मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालयों और मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य केन्द्रों में अब उत्साह का वातावरण है।
राज्योत्सव में छत्तीसगढ़िया कलाकारों ने बढ़ाया छत्तीसगढ़ का मान
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार राज्योत्सव में जिस तरह विशाल जनसमुद्र उमड़ा, उसने हमारे हर फैसले पर मुहर लगा दी है। जहां तक उपलब्धि का सवाल है, तो तीन प्रमुख उपलब्धियां हैं। पहली कि हमने अपने लक्ष्य के अनुरूप नई उद्योग नीति 2019-2024 जारी कर दी है। दूसरी छत्तीसगढ़िया कलाकारों की प्रतिभा ने यह साबित कर दिया है कि उनके कार्यक्रम किसी सेलीब्रिटी के मोहताज नहीं और तीसरी उपलब्धि कि छत्तीसगढ़ को अपना राज्यगान मिल गया। छत्तीसगढ़ के महान जनकवि डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा ने जब ‘अरपा-पैरी के धार-महानदी हे अपार….’ गीत की रचना की थी, तब उन्हें पता नहीं था कि यह गीत कैसे-कैसे जन-जन की जुबान में चढ़ेगा और एक दिन ऐसा आएगा कि स्वयं यह गीत राज्य गीत का गौरव पाएगा।