रायपुर/नवप्रदेश। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (cm baghel attack centre on kisan bill) ने किसानों से जुड़े तीन कानूनों के साथ ही श्रम सुधार कानून तथा शांता कुमार कमेटी की रिपोर्ट को लेकर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। राजीव भवन में आयाजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि जो विधेयक केंद्र सरकार की ओर से लाए गए हैं और जिन्हें संसद (parliament passes kisan bill) में पास कराया गया है, वे केंद्र सरकार के अधीन ही नहीं है। ये कानून अवैधानिक हैं। इसलिए इन्हें संसद में बैक डोर से पारित किया गया।
भूपेश बघेल (cm baghel attack centre on kisan bill) ने कहा कि कृषि पूरी तरह से राज्य का विषय है। इसिलए इस पर कानून बनाने का अधिकार राज्यों को है। हां यदि कोई विषय समवर्ती सूची का है तो उस पर संसद (parliament passes kisan bill) द्वारा बनाया गया कानून मान्य होता।
मुख्यमंत्री बघेल (cm baghel attack centre on kisan bill) ने कहा कि किसान कानून बनाकर केंद्र राज्यों के अधिकारों पर कुठाराघात किया है। श्रम सुधार कानून की बात भी करें तो इस पर कानून बनाने का अधिकार राज्यों को भी है। लेकिन राज्यों से विचार विमर्श नहीं किया गया। श्रम सुधार कानून बनाकर 300 कर्मचारियों तक वाली कंपनियों को अपने कर्मचारियों को कभी भी निकाल दिए जाने की छूट दे दी गई। कृषि व श्रम सुधार के नाम पर किसान व श्रमिक विरोधी कानून बना दिए गए।
क्या अब तक किसान को अपना अनाज कहीं भी बेचने पर रोक थी
सीएम ने कहा कि किसान कानून के तहत केंद्र सरकार कह रही है कि किसान अब अपनी उपज कहीं भी बेच सकता है। तो मैं पूछना चाहता हूं कि क्या अब तक किसान को ऐसा करने पर कोई रोक थी। जब रोक थी ही नहीं तो पर किसानों को क्यों गुमराह किया जा रहा है। क्या अब नए कानून से छत्तीसगढ़ का किसान अपनी उपज बेचने दिल्ली और पंजाब जाएगा।
क्या कभी ऐसा हुआ है। दूसरे किसान कानून में व्यापारियों को भंडारण की छूट दी गई। यानी अब व्यापारी सीजन में मनमुताबिक अनाज, दलहन, तिलहन का भंडारण कर लेगा। फिर ऐसे कुछ लोग इनका मनमाना रेट तय करेंगे। जबकि अभी ऐसे अनैतिक भंडारण पर जिला प्रशासन कार्रवाई करता है।
गड़बड़ी पर राज्य की पकड़ के बाहर हो जाएंगे व्यापारी
मुख्मंत्री ने आगे कहा कि केंद्र सरकर निजी मंडियों को बढ़ावा देकर सरकारी मंडियों को खत्म करना चाहती है। अभी की मंडी व्यवस्था में यदि किसान व व्यापारी के बीच कोई विवाद की स्थिति बनी तो मंडी सचिव उसका निराकरण करता है। जबकि नई व्यवस्था में व्यापारी कोई गड़बड़ी करेंगे तो वे राज्य की पकड़ के बाहर हो जाएंगे। किसान को अपने हक के लिए अब लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी।
किसान नहीं समझ पाएगा कंपनियों के किंतु परंतु
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर मुख्यमंत्री बघेल (cm baghel attack on kisan bill) ने कहा कि यह उन राज्यों के लिए ठीक हो सकती है जहां फलोत्पादन होता है। लेकिन अनाज उत्पादन करने वाले राज्यों में यह किसानों के लिए घाटे का सौदा होता है। कंपनियों की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कृषि बीमा योजना की तरह होगी जिसका लाभ कुछ लोगों को ही होता है। जिस प्रकार बीमा कंपनियां कई शर्तें लगाती है, जिन्हें पढ़ा लिखा आदमी भी नहीं समझ पता वैसे ही कंपनियां किसानों से किंतु परंतु वाले करार करेंगे। किसान इन्हें समझ नहीं पाएंगे व कंपनियों के जाल में फंस जाएंगे।
एमएसपी, पीडीएस व एफसीआई को खत्म करने की पैदा होती है शंका
मुख्यमंत्री ने कहा कि शांता कुमार कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है किसानों को सरकार द्वारा दिए जाने वाले एमएसपी का लाभ नहीं मिल पा रहा है, जो कि झूठ है। छत्तीसगढ़ में 90 फीसदी किसानों को एमएसपी मिला है। बघेल ने आगे कहा कि शांता कुमार कमेटी की रपोर्ट में कहा गया है कि 40 से 60 फीसदी पीडीएस के अनाज की कालाबाजारी होती है। एफसीआई पर भी सवाल उठाए गए है। रिपोर्ट में उल्लेखित इन बातों से ये एमएसपी व पीडीएस को भविष्य में खत्म करने की आशंका पैदा होती है। यह शंका भी निर्माण होती है कि एफसीआई द्वारा छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों से किया जाने वाला अनाज का उपार्जन बंद कर दिया जाए।