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Cloth Merchant Suicide : सूई-धागे की तरह जुड़ा था परिवार…कर्ज ने सब उधेड़ दिया…तीन मौतें…एक सुसाइड नोट और ढहता आत्मसम्मान…

लखनऊ, 30 जून। Cloth Merchant Suicide : यह महज़ एक आत्महत्या नहीं थी, यह कहानी है एक ऐसे परिवार की जिसने कभी हारना सीखा ही नहीं था — लेकिन जब भरोसे की बुनाई कमजोर हुई, तो जिंदगी की चादर तार-तार हो गई।

अशरफाबाद की एक चुप सड़क के पीछे, एक फ्लैट की खामोशी चीख रही थी — जहां कपड़ा व्यापारी शोभित रस्तोगी, उनकी पत्नी सुचिता, और 16 साल की बेटी ख्याति ने मिलकर जिंदगी से हार मान ली।

सुसाइड नोट की इबारतें बोल उठीं – “हमने कोशिश की, पर अब हिम्मत नहीं बची…”

घर से मिले सुसाइड नोट में बैंक लोन, ब्याज, और बाज़ार में डूबती साख का जिक्र था। शोभित ने लिखा, “अब हर दरवाज़ा खटखटाया… कोई उम्मीद नहीं (Cloth Merchant Suicide)बची। मैं अपनी बेटी को भूखे मरते नहीं देख सकता।”

बेटी ने दी आखिरी कॉल – “चाचा, हम जा रहे हैं…”

रात में ख्याति ने खुद अपने चाचा शेखर को फोन कर सारी बात बता दी। उसने बताया कि उन्होंने ज़हर खा लिया है। शेखर ने पुलिस को खबर (Cloth Merchant Suicide)दी, लेकिन जब दरवाजा टूटा — सब खत्म हो चुका था।

वो आदमी जो कभी दूसरों को कपड़े पहनाता था… खुद तंगहाली से नंगा हो गया।

शोभित की दुकान राजाजीपुरम में थी। पड़ोसियों के मुताबिक, कुछ समय से वह अत्यधिक तनाव में थे। कई बार सिर पकड़ कर बैठ जाते। लेकिन किसी को अंदाज़ा नहीं था कि वह सब कुछ खत्म कर देंगे — इतनी खामोशी से।

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