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CJI Justice Suryakant : सीजेआई पद की शपथ से पहले जस्टिस सूर्यकांत ने बताईं अपनी प्राथमिकताएं

CJI Justice Suryakant

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देश के अगले प्रधान न्यायाधीश बनने जा रहे जस्टिस सूर्यकांत (CJI Justice Suryakant) ने स्पष्ट संकेत दिया है कि सीजेआई की कुर्सी संभालते ही उनकी पहली और सबसे बड़ी प्राथमिकता सुप्रीम कोर्ट एवं देशभर की अदालतों में लंबित मामलों का तेजी से निपटारा करना होगा। वे सोमवार को भारत के 53वें चीफ जस्टिस (सीजेआई) के रूप में शपथ लेंगे। मौजूदा सीजेआई बी.आर. गवई रविवार, 23 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

जस्टिस सूर्यकांत (CJI Justice Suryakant) ने शनिवार को पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या 90 हजार से अधिक हो चुकी है, जिसे कम करना न्याय व्यवस्था के लिए बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि देरी का जो भी कारण हो, लेकिन अब लक्ष्य स्पष्ट है—“लंबित मुकदमों को तेजी से निपटाना और सुप्रीम कोर्ट की उपलब्ध क्षमता का पूरा उपयोग करना।”

उन्होंने बताया कि केवल सुप्रीम कोर्ट ही नहीं, बल्कि देश की जिला अदालतों और उच्च न्यायालयों में भी लाखों मामले वर्षों से फंसे हुए हैं। कई केस इसलिए लंबित हैं क्योंकि उनसे जुड़े कानूनी सवाल सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठों में अटके पड़े हैं। कई महत्वपूर्ण मामले 5-judge, 7-judge और 9-judge बेंच के पास लम्बित हैं, जिनके निपटारे से नीचे की अदालतों में हजारों मामलों का रास्ता साफ होगा। सीजेआई पद संभालने के बाद उच्च न्यायालयों से लंबित मामलों का विस्तृत डाटा मंगाया जाएगा, और उसके आधार पर तेजी से संविधान पीठों का गठन कर सुनवाई शुरू की जाएगी।

केस मैनेजमेंट को प्रभावी बनाना

उन्होंने कहा कि केस मैनेजमेंट को प्रभावी बनाना भी उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है। लोग छोटे मामलों में सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाते हैं, जबकि हाई कोर्ट भी संवैधानिक अदालत है। उन्होंने कहा कि “सबसे पहले हाई कोर्ट जाना जरूरी है, तभी सुप्रीम कोर्ट पर बोझ कम होगा। जमानत और तत्काल (urgent) मामलों में लंबित सुनवाई को लेकर उन्होंने संकेत दिया कि 1 दिसंबर तक कुछ सकारात्मक बदलावों की घोषणा की जा सकती है।

जस्टिस सूर्यकांत ने स्पष्ट किया कि वे मध्यस्थता (Mediation) को बड़ा “गेम चेंजर” मानते हैं और वे चाहते हैं कि छोटे–मध्यम विवाद अदालत में आने के बजाय मध्यस्थता से ही निपट सकें।

तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के उपयोग पर उन्होंने कहा कि—“AI कई मामलों में मददगार है, लेकिन इसका उपयोग सीमित और संतुलित तरीके से ही होना चाहिए, क्योंकि इसके साथ गंभीर मुद्दे जुड़े हैं। सीजेआई पद संभालने के बाद न्याय व्यवस्था में कई महत्वपूर्ण नीतिगत बदलावों के संकेत देते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने साफ किया कि उनकी प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं तेजी, पारदर्शिता और न्याय तक सरल पहुंच।

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