बीजिंग/नई दिल्ली । चीन (china corona virus) में फैला जानलेवा कोरोना वायरस अमेरिका (america) तक पहुंच चुका है। और इस वायरस को लेकर भारत को थोड़ा अलर्ट रहने की जरूरत है। क्योंकि भारत चीन का पड़ोसी देश तो है ही साथ ही जिस जीव से यह वायरस (corona virus) चीन में फैला है वह जीव थोड़े अलग रूप में भारत में भी मौजूद है।
बता दें कि चीन (china corona virus) में फैले कोरोना वायरस को लेकर वहां के एक्सपर्ट का कहना है कि यह वायरस चीनी करैत (krait snake) व कोबरा सांप (cobra snake) से फैला होगा। क्योंकि इस वायरस का सर्वाधिक असर उन क्षेत्रों में ज्यादा है जहां करैत (krait snake) व कोबरा सांप (cobra snake) पाया जाता है। भारत में नाग को कोबरा कहा जाता है, लेकिन यह चीनी कोबरा जैसे विषैला नहीं है। भारत के जंगलों में करैत सांप भी पाया जाता है।
हालांकि अब तक इंडियन कोबरा या करैत से ऐसे वायरस के फैलने की कोई बात सामने नहीं आई है। क्योंकि चीनी व भारतीय कोबरा में काफी अंतर है।
गौरतलब है कि चीन में कोरोना वायरस की वजह से दो शहरों को सील कर दिया गया है और चीन में इस वायरस से अब तक 17 लोगों से ज्यादा की मौत हो चुकी है। अब यह वायरस अमेरिका तक फैल चुका है। अमेरिका में इस वायरस का एक मरीज पहुंच चुका है।
वुहान के बाजार में बिकता है सांप
चीनी कोबरा व करैत सांप, वुहान शरह में सी-फूड के थोक बाजार में भारी मात्रा में बिकता है। वुहान की होल सेल मार्केट को बंद करने से पहले सांप की भी बिक्री जमकर हुई थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक वुहान की बाजार में बिकने वाला करैत जिसे ताइवानी या चीनी करैत कहते हैं, सांपों की काफी जहरीली प्रजाति है। यह सांप सेंट्रल और सदर्न चीन के अलावा साउथ इस्ट एशिया में भारी तादाद में पाया जाता है। दिसंबर 2019 में पहली बार इस वायरस की वजह से बीमारी का पहला केस दर्ज किया गया था। अब चीन की सीमा से निकलकर वायरस अमेरिका, साउथ कोरिया, थाइलैंड और ऑस्ट्रेलिया तक पहुंच चुका है।
इनफेक्शन के लक्षण
इस वायरस का इनफेक्शन होने के बाद पीड़ित को सांस से जुड़ी बीमारी होती है। सांस लेने में सर्दी जुकाम के समय होने वाली तकलीफ होती है। इनफेक्शन की वजह से नाक से पानी निकलता रहता है, कफ की शिकायत होती है, गले में खरास रहती है और बुखार के साथ ही सिर दर्द भी होता है। यह लक्षण कुछ दिनों तक रह सकते हैं। जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है जैसे की वृद्ध और बहुत छोटे बच्चे, उनमें इस वायरस से प्रभावित होने की आशंका ज्यादा है। वायरस की वजह से हल्की और गंभीर दोनों ही प्रकार की सांस की बीमारियां जैसे न्यूमोनिया या फिर ब्रोंकाइटिस हो सकती है।