Gau Sewa Ayog: सुराजी गांव योजना है किसानों के जीवन में बदलाव लाने की मुहिम-भूपेश
रायपुर/नवप्रदेश। Gau Sewa Ayog:मुख्यमंत्री भूपेश बघेल वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए मंगलवार को छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग के नवनियुक्त पदाधिकारियों के पदभार ग्रहण कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम में गौसेवा आयोग के उपाध्यक्ष मन्नालाल यादव, सदस्य अटल यादव, शेखर त्रिपाठी, नरेन्द्र यादव, पुरूषोत्तम साहू और प्रशांत मिश्रा ने पदभार ग्रहण किया। मुख्यमंत्री ने आयोग के पदाधिकारियों को बधाई और शुभाकामनाएं देते हुए कहा कि उन्हें गौ सेवा की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है।
गौ सेवा नारा नहीं कर्तव्य है : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि “गौ सेवा हमारे लिए कोई नारा नहीं, बल्कि हमारा कर्तव्य है। छत्तीसगढ़ में गौ संरक्षण (Gau Sewa Ayog)और संवर्धन का काम किसानों के जीवन में बदलाव लाने की मुहिम का एक हिस्सा है। राज्य सरकार ने सुराजी गांव योजना के तहत नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी, गौठानों के निर्माण और गोधन न्याय योजना के माध्यम से इस दिशा में प्रभावी पहल की है।”
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि “बीते ढ़ाई वर्षों में छत्तीसगढ़ में गोधन संरक्षण और संवर्धन की दिशा में उल्लेखनीय कार्य हुए हैं, जो पूरे देश के लिए आज उदाहरण बन चुके हैं। मशीनीकरण के दौर में कृषि और पशुपालन के बीच दूरी बढ़ती जा रही है। राज्य सरकार ने सुराजी गांव योजना, गोधन न्याय योजना और रोका-छेका अभियान जैसे कदमों से इस दूरी को कम करने का प्रयास किया है। कृषि और पशु पालन की ओर लोगों की रूचि बढ़ी है।”
गौठानों पर सरकार की नजर
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 10 हजार गौठानों में स्वीकृति दी गई है जिनमें से लगभग 5 हजार गौठानों चारागाह के लिए भूमि आरक्षित की जा चुकी है। इनमें से लगभग 3800 गौठानों (Gau Sewa Ayog) चारा उत्पादन का काम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठानों में गर्मियों में पशुओं के लिए चारा उपलब्ध कराने का काम प्राथमिकता के आधार पर किया जाए। साईलेज बनाकर चारे को सुरक्षित रखने की व्यवस्था की जाए। नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी और गोधन योजना छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित होगी।
गोबर खरीदी आय का नया जरिया
सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि “छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य जहां दो रूपए किलो में गोबर की खरीदी हो रही हैं। इस योजना में किसानों, पशुपालकों और वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन में लगी स्व-सहायता समूह की महिलाओं के लिए आय का नया जरिया खोल दिया है। इससे डेयरी व्यवसाय को नया जीवन मिला है। गौठानों में पशुओं के लिए चारे और पानी की व्यवस्था की गई है। साथ ही यहां पशुओं के स्वास्थ्य की अच्छी देखभाल भी हो रही है। रोका-छेका की पुरानी परम्परा को लेकर गांवों में जागृति आई है। खुले में घुमने वाले पशु कम ही दिखते हैं।”