- –वनांचल क्षेत्रों में प्रदूषण मुक्त लघु वनोपज प्रसंस्करण, कृषि प्रसंस्करण एवं खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित सूक्ष्म एवं लघु औद्योगिक इकाईयां स्थापित करने अधिनियमों में संशोधन की मांग
रायपुर। राज्य में वनक्षेत्रों में वनों के आधिक्त के कारण वन क्षेत्रों के निवासियों का जीवन अत्यंत कठिन है। कृषि, व्यापार, उद्योग, सेवाक्षेत्र, संचार एवं परिवहन गतिविधियों का प्रसार वन अधिनियम एवं वन संरक्षण अधिनियम के कड़े प्रावधानों के कारण अत्यंत सीमित है। इन कठिनाईयों के कारण ही वन क्षेत्रों के निवासियों की आय में वृद्धि, गरीबी में कमी एवं जीवन स्तर में वृद्धि एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य बन चुका है। राज्य में चिन्हांकित 10 आकांक्षी जिलों में से 9 जिलों के अधिकांश भागों में वन है। इसके लिए वन संरक्षण अधिनियम में आवश्यक संशोधन कर इन्हें वानिकी गतिविधियों में शामिल किया जाए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम लिखे पत्र में इस विषय पर ध्यान आकृष्ट कराते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आगे लिखा है वन संरक्षण अधिनियम में आवश्यक संशोधन कर इन्हें वानिकी गतिविधियों में शामिल किए जाए ताकि इन क्षेत्रों के निवासियों के जीवन स्तर में वृद्धि हेतु लघु वनोपज प्रसंस्करण, कृषि प्रसंस्करण एवं खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित सूक्ष्म एवं लघु औद्योगिक इकाईयां जिनसे किसी प्रकार का प्रदूषण न होता हो कि स्थाना हेतु मार्ग प्रशस्त हो सके। वन क्षेत्रों के निवासियों को कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित कराना अत्यंत कठिन है। बिना ऊर्जा के किसी भी समुदाय की आर्थिक प्रगति संभव नहीं है। इस समस्या के निराकरण हेतु यह आवश्यक है कि वन क्षेत्रों में 1 से 5 मेगावॉट क्षमता के सौर संयंत्र परियोजनाओं की स्थापना हेतु अनुमति प्रदान की जाए तथा इस हेतु नवीन एवं नवीकरण ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वन क्षेत्रों में गुणवत्तायुक्त विद्युत आपूर्ति हेतु विशेष कार्ययोजना तैयार की जाए। इस हेतु भी वन संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन कर सौर ऊर्जा परियोजनाओं को हरित गतिविधि ही मान्य किया जाए। सीएम श्री बघेल ने पीएम से आग्रह किया है कि उक्त कार्य हेेतु भारत सरकार सबंधित विभागों को निर्देशित करे।