- साल दर साल बढ़ती मांग को पूरा करने बनी कारगर योजना
कोरबा । छत्तीसगढ़ आगामी अनेक वर्षो तक विद्युत आधिक्य वाला राज्य बना रहेगा। यहां साल दर साल बढ़ती विद्युत की मांग के अनुरूप बिजली उपलब्ध रहे इस हेतु पॉवर कंपनी द्वारा सार्थक पहल की गई है। कंपनी द्वारा किये गये आकंलन के मुताबिक वर्ष 2031-32 तक लगभग 3000 मेगावॉट अतिरिक्त बिजली कंपनी के पास उपलब्ध रहेगी।
उक्त जानकारी पॉवर कंपनी के अध्यक्ष शैलेन्द्र शुक्ला ने दी। उन्होंने आगे बताया कि प्रदेश में उपलब्ध भरपूर बिजली को घरेलू, कृषि, औद्योगिक उपभोक्ताओं तक समूचित वोल्टेज के साथ आपूर्ति की जा सके इसके लिए पारेषण एवं वितरण प्रणाली को उन्नत एवं विस्तारित किया जाना आवश्यक है। इस हेतु युद्ध स्तर पर कार्य करने की कारगर योजना बनाई गई है। श्री शुक्ला ने बताया कि प्रदेष में उत्पादित एवं अन्य श्रोतो से प्राप्त बिजली को सुदुर ग्रामीण अंचलों तक पहुं्रचाने के लिए प्रदेश भर की समस्या ग्रस्त क्षेत्रों को सर्वोच्च प्राथमिकता से चिन्हांकित किया जा रहा है साथ ही राज्य की दीर्घकालीन विद्युत की मांग का आंकलन कर कंपनी द्वारा लगभग 1000 करोड़ से लागत से निर्मित होने वाली 36 से अधिक प्रोजेक्ट हाथ में लिए गए है, जिन्हें एक वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। कंपनी प्रबंधन द्वारा पारेषण प्रणाली के सुदृढ़ीकरण पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया गया है चूंकि पारेषण प्रणाली के सुदृढ़ होने पर विद्युत वितरण हेतु संचालित 33 केव्ही. फीडरों पर बिजली का लोड मापदण्डों के अनुरूप रखने में सहायता मिलती है। इससे वितरण हानि भी नियंत्रित होती है। इसे दृष्टिगत रखते हुए पारेषण प्रणाली को पर्याप्त क्षमता युक्त के साथ ही 99-89 प्रतिषत उपलब्धता बनाये रखने सफल प्रयास किये गये है। वर्ष 2019-20 की समाप्ति तक प्रदेश की पारेषण क्षमता 19834 एमव्हीए हो जाएगी।
अतिउच्चदाब उपकेन्द्रों में लगे तीस चालिस वर्ष पुराने हो चले उपकरणों को सर्वोच्च प्राथमिकता से बदलने का निर्णय लिया गया है। इस हेतु 62 करोड़ की योजना पर पहले चरण में कार्य आरंभ किया गया है। पुराने उपकरणों के रख.रखाव एवं कुषल प्रबंधन के साथ सतत निगरानी के निर्देश मैदानी अधिकारियों को दिये गये है। राज्य में साल दर साल विद्युत की बढ़ती हुई मांग का आकंलन कर पॉवर कंपनी द्वारा प्रदेश की पारेषण प्रणाली को उन्नत करने वर्ष 2021-22 के लिए भी कार्ययोजना तैयार की गई है जिसके अंतर्गत लगभग 15 अतिउच्चदाब उपकेन्द्रों एवं उनसे संबद्ध लाइनों के कार्य शामिल है।