कांग्रेस सरकार से मिला सिर्फ आश्वासन, अब भी न्याय के लिए भटक रहीं छत्तीसगढ़ महिला बाल विकास विभाग पयर्वेक्षक कल्याण संघ कर्मियों को संवेदनशील मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से हैं उम्मीदें
रायपुर/नवप्रदेश। Chhattisgarh Women & Child Development Department : छत्तीसगढ़ राज्य महिला और बाल विकास विभाग में पर्यवेक्षकों को वेतन विसंगतियों से नहीं मिली है निजात। अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ के महिला और बाल विकास विभाग के तृतीय वर्ग कार्यपालिक अब भी वेतन विसंगति का दंश झेल रहे हैं।
पूर्ववर्ती भूपेश सरकार के वक्त से अपने हक़ के लिए हर संभव प्रयासों के बाद सिर्फ आश्वासन ही मिला था। लेकिन अब न्याय के लिए भटक रहीं छत्तीसगढ़ महिला बाल विकास विभाग पयर्वेक्षक कल्याण संघ कर्मियों को संवेदनशील मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से उम्मीदें हैं। संघ की प्रांताध्यक्ष श्रीमती ऋतु परिहार का कहना है कि बीजेपी सरकार से हमारी उम्मीदें ज्यादा हैं, क्योंकि भाजपा का नारा है बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और पीएम नरेंद्र मोदी भी महिलाओं को सभी क्षेत्र में आगे लेन का प्रयास भी कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य में महिला और बाल विकास विभाग में पर्यवेक्षकों (तृतीय वर्ग कार्यपालिक ) के वेतनमान में विसंगति दूर कर महिला कर्मचारियों को न्याय दिलाने के संबंध में दुर्ग लोकसभा के सांसद विजय बघेल ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिख कर मांग की।
गौरतलब है कि वर्तमान में भाजपा की सरकार बनने पर महिला एवं बाल विकास विभाग पर्यवेक्षक कल्याण संघ की उम्मीदें बढ़ गई। उन्होंने दुर्ग सांसद को वेतन विसंगति से अवगत कराकर ज्ञापन सौंपा था। इस पर उन्होंने सीएम साय को पत्र लिखा था।
छत्तीसगढ़ में महिला पर्यवेक्षकों की संख्या 1866 हैं। जो पिछले 30 वर्षों (तीस) से वेतन विसंगति से जूझ रही हैं। प्रदेशभर में कार्यरत हैं। इसी तरह एक लाख(100000) आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं प्रदेश की साढ़े सात लाख (750000) महिला स्वसहायता समूहों को सशक्त बना रही हैं। पर्यवेक्षक दस लाख महिलाओं और उनके परिवारों को जागरूक कर रही हैं। उनको कार्य के अनुरूप सम्मानजनक वेतन नहीं मिलता।
वेतन विसंगतियों के अलावा यह विभागीय दंश भी झेल रहे पर्यवेक्षक
पर्यवेक्षकों को 5200-20200 ग्रेड पे 2400 प्राप्त होता है। परियोजना अधिकारी को वेतनमान 9300-34800 ग्रेड 4300 है। सेवा अवधि 20 वर्ष के बाद दो समयमान मिलने के बाद भी पर्यवेक्षक परियोजनाअधिकारी के वेतन बैंड तक नहीं पहुंच पाते। राज्य में पर्यवेक्षकों की पदोन्नति के अवसर भी 6 फीसदी है। 94 प्रतिशत पर्यवेक्षक इसी पद से सेवानिवृत्त हो जाती हैं। छठवें वेतनमान 5200-20200 ग्रपे 2400 (लेवल 6 में 25300) था। सातवें वेतनमान में 9300-34800 ग्रपे4200(लेवल 80में 35400)करने की मांग की गई। अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ की महिला पर्यवेक्षकों का वेतन अत्यंत कम है।
राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ की महिला पर्यवेक्षकों की स्थिति दयनीय
कर्नाटक 2013 – 14550-26700(कनिष्ठ), 20000-36300(वरिष्ठ), झारखंड 9300-34800ग्रेड पे 4200, हिमाचल प्रदेश10300-34800ग्रेड पे 3200, पश्चिम बंगाल 7100-37600 ग्रेड़ पे 3600, त्रिपुरा 27300-86300, केरल 26500-56700, छत्तीसगढ़ 5200-20200ग्रेपे 2400 मिलता है।