- 31 जुलाई 200 को लोकसभा में मध्य प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2000 पर दिया था भाषण
- तत्कालीन पीएम वाजपेयी से किया था छग राज्य निर्माण की नियत तिथि बताने का आग्रह
रायपुर/नवप्रदेश। 1 नवंबर 2000 को मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) नया राज्य ( state) बना। लेकिन संसद (parliament) में ‘मध्य प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2000 को लेकर कार्यवाही इससे पहले शुरू हो गई थी।
इन कार्यवाहियों के दिनों में 31 जुलाई का दिन वर्तमान छत्तीसगढ़ के लिए काफी प्रासंगिक है। वर्ष 2000 में इसी दिन तत्कालीन लोकसभा सदस्य व छत्तीसगढ़ विधानसभा के मौजूदा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत (vidhan sabha speaker dr charandas mahant) ने संसद (parliament) में मध्यप्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2000 पर छत्तीसगढ़ की अंतरात्मा की आवाज प्रकट करने वाला भाषण (speech) दिया था।
इसी दिन डॉ. महंत (vidhan sabha speaker dr charandas mahant) ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से यह स्पष्ट करने का निवेदन किया था कि किस नियत तिथि से छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) राज्य (state) का निर्माण होगा।
उन्होंने इसकी राजधानी भी तय करने का आग्रह किया था। डॉ. महंत ने लोकसभा में अपने भाषण (speech) में कहा था, ‘आज का दिन मेरे लिए सौभाग्य का दिन है। आज भगवान महावीर, गौतम बुद्ध, महात्मा कबीर, बापू गांधी और बाबा घासीदास जी के सपनों के अनुरूप और उन्हीं के बताए मार्ग पर चलकर छत्तीसगढ़ की दो करोड़ जनता का सपना साकार होने जा रहा है।
पूर्वजों को किया नमन
विधेयक पर अपने भाषण में डॉ. महंत ने पृथक छत्तीसगढ़ के सपने को मूर्त रूप देने में प्रयासरत रहे पूर्वजों तथा विभिन्न संगठनों केे सदस्यों को भी नमन किया था। उन्होंने कहा था- ‘इस मांगलिक कार्य को मूर्त रूप देने में आज सदन मेंं बैठे संसद सदस्यों के अलावा हमारे सभी पूर्वजों माधवराज जी सप्रे, पं. सुंदर लाल शर्मा, डॉ. खूबचंद बघेल, विश्वनाथ तामस्कर, डॉ. राघवेंद्र राव, बिसाहू दास महंत, लोचन प्रसाद पांडेय, पवन दीवान, वीर नारायण सिंह, ठा. प्यारेलाल सिंह, बृजलाल वर्मा, छेदीलाल बैरिस्टर, चंदूलाल चंद्राकर, केयर भूषण, पुरुषोत्तम कौशिक, छत्तीसगढ़ महासभ, भात्र संघ, संघर्ष मोर्चा, छत्तीसगढ़ मंच, गोंडवाना पार्टी, विकास मंच, छत्तीसगढ़ फौज, छत्तीसगढ़ धरना केे सभी सदस्यों, जिनके अहिंसक एवं शांतिपूर्ण आंदोलन ने ये अवसर दिया, उन सबको मैं नमन करता हूं।
श्रावण, हरेली व श्रवण का जिक्र
लोकसभा में डॉ. महंत ने कहा था आज श्रावण मास की सोमवती अमावस्या है। भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना है कि हम सबको आशीर्वाद दें कि हम छत्तीसगढ़ के नवयुवक भी ‘छत्तीसगढ़ महतारी’ की सेवा श्रवण की ही भांति करे। डॉ. महंत ने आगे कहा था- आज का दिन छत्तीसगढ़ में हरेली पर्व का दिन है। आज प्रदेश के किसान अपने कृषि यंत्रों की पूजा करते हैं। हम कृषियंत्रों की जगह उन सभी की पूजा करना चाहते हैं, जिनके सद्प्रयास से ये अवसर मिला।
जब श्लोक से समझाया छोटे राज्य का महत्व
सदन में मध्य प्रदेश पुनर्गठन विधेयक की पुनस्र्थापना के समय अनेक सदस्यों ने छोटे राÓय बनाने पर आपत्ति की थी। उन्हें छोटे राज्य का महत्व समझाने डॉ. महंत ने त्रिपिटक गणतंत्र का यह श्लोक पढ़ा था और इसका अर्थ भी समझाया था-
लघुरपि गणतंत्र: समृद्धि प्राप्त शोभते।
दुग्धधारिणी सवत्सा, यथा संपूज्यते सदा।।
गणतंत्र (राज्य) भले छोटा क्यों न हो, यदि वह समृद्धशाली है तो उसी प्रकार शोभा पाता है और पूजा पाता है, जिस प्रकार दूध देने वाली गाय अपने बछड़े के साथ सभी स्थानों पर पूजनीय होती है।
छत्तीसगढ़ के संसाधनों का उल्लेख
अपने भाषण में डॉ. महंत ने छत्तीसगढ़ संसाधनों का भी जिक्र किया। कहा था कि छत्तीसगढ़ एक समृद्धशाली राज्य बनेगा। एक पृत्थक राज्य के लिए जो मूलभूत आधार चाहिए वह सभी छत्तीसगढ़ के लिए विद्यमान हैं। उन्होंने संसद सदस्यों को छत्तीसगढ़ की भौगोलिक, कृषि, उद्योग, खनिज संपदा आदि क्षमताओं के साथ ही इसके प्राचीन व आध्यात्मिक महत्व से भी परिचित कराया था।
नेहरू, इंदिरा, सोनिया के साथ अटल का भी जताया आभार
अपने भाषण में तत्कालीन लोकसभा सदस्य डॉ. महंत ने प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की ‘अवसर समानता ही सच्चा लोकतंत्र है’ का जिक्र किया। साथ ही कहा था कि आदरणीय इंदिराजी ने इन ग्रामीण क्षेत्रों की असमानता को दूर करने को प्रथम वरीयता प्रदान की। सोनिया जी ने भी छोटे राज्य की कल्पना को पुरजोर समर्थन किया है। हम उनकी इस भावना को प्रणाम करते हैं। हम प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के आभारी है, जिन्होंने इन महान आत्माओं की कल्पनाओं को साकार रूप देने का निर्णय लिया।
तत्कालीन पीएम वाजपेयी से किए थे ये पांच निवेदन
डॉ. महंत ने आगे कहा था- मैं श्रद्धेय वाजपेयी जी से निवेदन करना चाहता हूं। प्रथम तो यह कि किस नियत तिथि से छत्तीसगढ़ का निर्माण होगा, इस विधेयक के साथ ही स्पष्ट कर दें। दूसरा-छत्तीसगढ़ को जन्म से कर्ज के बोझ में न लादें, कम से कम दो हजार करोड़ रुपए राशि हमें उपलब्ध कराएं। तीसरा- विश्व की प्राचीन नाट्यशाला रामगढ़ में छत्तीसगढ़ ही नहीं वरन देश की कला संस्कृति के विकास के लिए उत्कृष्ट संस्थान की घोषणा करें।
चौथा-आदिवासी विषयों एवं समस्याओं के स्थानीय गुणों एवं ज्ञान के संवर्धन के लिए केंद्रीय विश्चविद्यालय केे गठन की स्वीकृति प्रदान करें। पांचवा- छत्तीसगढ़ की राजधानी कहां और कैसे हो इसका निर्णय भी केंद्र सरकार करे।
अंत में डॉ. महंत ने कहा था- मैं सदन से प्रार्थना करना चाहता हूं कि छत्तीसगढ़ का निर्माण किसी जाति, धर्म, संप्रदाय, राजनीतिक दल, कुर्सी प्राप्त करने अथवा वर्ग विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं हैं, वरन उस आदमी के लिए हैं-
जो खेत जोतता है,
जो फसल बोता है,
जो फसल काटता है,
फिर भी अपने परिवार के लालन-पालन से वंचित रह जाता है।