Chhattisgarh Silver Jubilee : शासकीय माता शबरी नवीन गर्ल्स पीजी कॉलेज, बिलासपुर में छत्तीसगढ़ राज्य के रजत महोत्सव के अवसर पर “छत्तीसगढ़ @ 50 एवं विकसित छत्तीसगढ़ @ 2047” विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम महाविद्यालय प्रांगण में उत्साह, ज्ञानवर्धन और संवाद से परिपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि बिलासपुर नगर निगम की महापौर आदरणीया पूजा विधानी रहीं। विशिष्ट अतिथि के रूप में महाविद्यालय की जनभागीदारी समिति की अध्यक्ष रूपाली अनिल गुप्ता तथा प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार व चिंतक डॉ. देवधर महंत उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य एवं संरक्षक डॉ. कीर्ति कुमार भंडारी ने की।
मुख्य अतिथि पूजा विधानी ने अपने संबोधन में कहा कि “जब एक छात्रा पढ़ाई करती है तो उसका प्रभाव केवल एक परिवार पर नहीं, बल्कि पूरे समाज पर पड़ता है। शिक्षित नारी परिवार और समाज की उन्नति की आधारशिला है। आज की युवा पीढ़ी ही भारत और छत्तीसगढ़ के उज्ज्वल भविष्य की निर्माता है। छत्तीसगढ़ तीव्र गति से प्रगति पथ पर अग्रसर है और आने वाले वर्षों में यह देश का अग्रणी राज्य बनेगा।”
रूपाली गुप्ता ने कहा कि “राज्य की प्रगति के साथ शिक्षा का स्तर भी तेजी से उन्नत हो रहा है। आज छात्राएँ हर क्षेत्र में अपनी सक्रिय भागीदारी से समाज को नई दिशा दे रही हैं।”
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. देवधर महंत ने कहा कि “मैं छत्तीसगढ़ के गठन का प्रत्यक्ष साक्षी हूँ। यह राज्य अपार संभावनाओं की भूमि है। यहाँ की प्रतिभाएँ, मेहनत और सांस्कृतिक गहराई इसे आने वाले समय में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान दिलाएँगी।”
अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य डॉ. कीर्ति कुमार भंडारी ने कहा कि “विकसित छत्तीसगढ़ @ 2047 की परिकल्पना को साकार करने में युवाओं की केंद्रीय भूमिका है। छात्र-छात्राएँ यदि शिक्षा, नवाचार और दृढ़ संकल्प को जीवन में अपनाएँ तो छत्तीसगढ़ आने वाले समय में प्रगति का आदर्श मॉडल बनेगा।”
कार्यक्रम का संचालन डॉ. बेला महंत ने किया तथा आभार प्रदर्शन डॉ. शोभा महेश्वर द्वारा किया गया। इस सेमिनार को सफल बनाने में महाविद्यालय की सांस्कृतिक एवं साहित्यिक समिति, प्राध्यापकगण, सहायक कर्मचारी, छात्राएँ एवं संपूर्ण महाविद्यालय परिवार का विशेष योगदान रहा। छात्राओं ने भी उत्साहपूर्वक सहभागिता करते हुए प्रश्न पूछे और अपने विचार साझा किए, जिससे कार्यक्रम सार्थक और संवादमूलक बन सका।