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छग के शिल्पग्राम के बच्चे पढ़ रहे जर्जर स्कूल भवन में, इसी गांव के हैं आईएएस…

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बालोद/डोंडीलोहारा। प्रदेश (chhattisgarh school) के उन स्कूलों को लेकर चिंता बढ़ गई है, जहां के भवन जर्जर (dilapidated school building) स्थिति में पहुंच चुके हैं। चिंता बढ़ना इसलिए भी लाजिमी है क्योंकि शुक्रवार को ही सरगुजा के नवागढ़ के प्राथिमक स्कूल में छत गिर जाने से 17 बच्चे घायल हो गए थे।

बालोद (balod school) जिले के डौंडीलोहारा विकास खंड के शिल्प ग्राम का दर्जा प्राप्त किल्लेकोड़ा गांव के स्कूल को लेकर भी अभिभावकों के मन में चिंता घर करने लगी है। किल्लेकोड़ा गांव में शिल्पकारों के जीवनस्तर में सुधार के लिए शासकीय स्तर पर कई काम हुए हैं।

प्रदेश के नामी आईएएस  (रिटायर्ड) व अफसर रहे केआर पिस्दा का मूल गृह निवास भी बालोद (balod school) जिले के इसी किल्लेकोड़ा गांव में है। वे मंत्रालय में कई महत्तपूर्ण विभागों के सचिव भी रहे हैं।

इस गांव में कभी तत्कालीन सीएम डॉ. रमन सिंह व तत्कालीन राज्यपाल का दौरा भी हो चुका है। इसके बावजूद शिल्पकारों के बच्चे जिस स्कूल में पढ़ रहे हैं उसका भवन जर्जर (dilapidated school building) अवस्था को प्राप्त हो चुका है। इस भवन की ओर जिम्मेदारों द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा। गांव का विकास भी जैसा होना चाहिए था वैसा नहीं हो सका।

1964 में हुई थी प्राथमिक शाला की स्थापना

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ग्राम की प्राथमिक शाला की स्थापना 1964 में हुई थी। जबकि भवन निर्माण 2005 में हुआ। इतने कम समय में भी यह भवन जर्जर हो चुका है। दीवारों से पानी रिस रहा है। वहीं छत से सीमेंट के पड़पे टूटकर नीचे बिखर रहे हैं। फिर भी इसी भवन में कक्षाएं लग रही हैं। 67 बच्चों को इसी भवन में पढ़ाया जा रहा है। जान हथेली पर रख ये बच्चे इस भवन में अपना भविष्य गढ़ने के लिए मजबूर हैं। दूसरी व्यवस्था नहीं होने से अभिभावक भी अपने बच्चों को यहां भेजने के लिए मजबूर है।

शिक्षक भी कह रहे- क्या करें, मजबूर हैं

स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों का भी कहना है क भवन जर्जर है, पर क्या करें कोई अन्य भवन व व्यवस्था नहीं हो पाने के कारण इसी जर्जर भवन में बच्चों को पढ़ाने के लिए बाध्य हैं। कई वर्षों से नये भवन बनाने की मांग की जा रही है लेकिन ध्यान नहीं दिया जा रहा है । प्रधानपाठक बंशीलाल मानकर ने बताया कि स्कूल में शिक्षक संख्या 3 हैं। कुल 67 बच्चे पढ़ने आते हैं। फिर भी एक शिक्षक की कमी बनी हुई है शाला में पुराने आहता की उंचाई कम होने से यहां पर बाहर गौठन के जानवर अंदर चले आते है, जिससे बच्चों को भी खतरा बना रहता है। दूरस्थ व वनक्षेत्र में स्थित होने के कारण अधिकारी भी समय पर यहां नही पहूंच पाते हैं। संचार सुविधाएं भी काफी खराब हैं।

2006 में गांव पहुंचे थे तत्कालीन सीएम व राज्यपाल

वर्ष 2006 में इस ग्राम के पहाड़ों पर भरपुर मात्रा में कुंडी पत्थरों के भंडार व उसको तराश कर मूर्तियां बनाने वाले कारीगरों की कला व उनके विकास को लेकर किए गए आयोजन में प्रदेश के तत्कालीन मुखिया डॉ. डा रमन सिंह व प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल केएम सेठ का आगमन हुआ था। इसके बाद कई आला अफसरों का गांव में आगमन होता रहा, लेकिन किसी का भी ध्यान इस स्कूल पर नहीं गया।

मामले की जानकारी आपके द्वारा मिल रही है। इस विषय पर जानकारी लेता हूं। अगर भवन जर्जर है तो इस भवन के स्थान पर नये स्कूल भवन निर्माण के लिये जिला प्रशासन से पत्राचार कर नये भवन की स्वीकृति के लिये मांग की जाएगी।

-आरसी देशलहरा, विकासखंड शिक्षा अधिकारी डौन्डी लोहारा

 

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