प्रदेश सरकार ने सड़कों पर बढ़ते हादसों और बेसहारा पशुओं से हो रहे नुकसान पर सख्त रुख अपनाया है। अब सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए छह विभागों के साथ जनप्रतिनिधि भी सक्रिय भूमिका (Chhattisgarh Road Safety) निभाएंगे। परिवहन विभाग ने इस संबंध में विस्तृत स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी करते हुए सभी जिलों में ग्राम पंचायत और नगरीय निकाय स्तर पर विशेष निगरानी दल गठित करने के निर्देश दिए हैं।
इन निगरानी दलों में लोक निर्माण, पुलिस, पशुधन विकास, पंचायत, कृषि और राजस्व विभाग के अधिकारी शामिल रहेंगे। इनके साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी जिम्मेदारी दी जाएगी, ताकि सड़कों पर बेसहारा पशुओं की समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सके।
सरकार ने फैसला किया है कि एक माह तक राज्यव्यापी विशेष अभियान (Chhattisgarh Road Safety) चलाया जाएगा। इस दौरान हर जिले में ऐसे इलाकों की पहचान की जाएगी जहां आवारा पशुओं की वजह से दुर्घटनाएं अधिक होती हैं। इन स्थानों को हाई रिस्क और मॉडरेट रिस्क जोन के रूप में चिन्हित किया जाएगा। इसके बाद चिन्हित क्षेत्रों से पशुओं को पकड़कर गौशालाओं, गौ अभयारण्यों या कांजी हाउस भेजा जाएगा।
नगरीय प्रशासन विभाग ने सभी निकायों को निर्देश दिया है कि दिन और रात दोनों समय अभियान चलाया जाए। साथ ही, आम जनता को जानकारी देने के लिए टोल-फ्री नंबर 1033 और “निदान-1100” के व्यापक प्रचार-प्रसार पर जोर दिया गया है।
सुरक्षा के लिए रेडियम स्ट्रिप और स्ट्रीट लाइट्स
पशु पालन विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि बेसहारा पशुओं को रेडियम स्ट्रिप लगाई जाए ताकि रात के समय उनकी दृश्यता बढ़े और दुर्घटनाओं की संभावना घटे। जिन सड़कों को हाई रिस्क जोन माना गया है, वहां स्ट्रीट लाइट और सुरक्षा संकेतक बोर्ड लगाए जाएंगे।
इसके अलावा, विभाग ने इंटर मीडिया और स्थानीय चैनलों के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम चलाने की योजना तैयार की है। इन कार्यक्रमों में लोगों को यह बताया जाएगा कि सड़कों पर छोड़े गए पशु न केवल उनके लिए बल्कि दूसरों की जान के लिए भी खतरा हैं।
पशु मालिकों के लिए जागरूकता शिविर
नगरीय प्रशासन विभाग ने सभी निकायों को निर्देशित किया है कि पशु मालिकों को खुले में पशु नहीं छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाए। इसके लिए जनजागरूकता शिविर और विभागीय कार्यशालाएं आयोजित (Chhattisgarh Road Safety) की जाएंगी। अभियान के दायरे में नगरीय क्षेत्रों के साथ-साथ 10 से 15 किलोमीटर तक के ग्रामीण इलाके भी शामिल रहेंगे, ताकि गांवों से शहरों की ओर आने वाले पशुओं पर भी नियंत्रण रखा जा सके।
इस अभियान की साप्ताहिक प्रगति रिपोर्ट प्रत्येक जिले से संचालनालय को भेजी जाएगी। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि कार्रवाई पूरी तरह परिवहन विभाग की एसओपी के अनुसार ही होगी और किसी भी स्थिति में सड़कों पर पशुओं को खुला छोड़ना स्वीकार्य नहीं होगा।

