-पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री सिंहदेव ने इसके क्रियान्वयन के लिए नियम बनाने आदिवासी समाज और गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों से की चर्चा
रायपुर। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में ‘पेसा’ कानून (‘Pesa’ law) को लागू करने गंभीर पहल शुरू (Implementing serious initiative) हो गई है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव (ts singh deo) ने आज अपने निवास कार्यालय में सर्व आदिवासी समाज तथा पंचायतीराज सशक्तिकरण व वनाधिकार के लिए काम करने वाले गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों से ‘पेसा’ को जमीन पर उतारने नियम तैयार करने के संबंध में विचार-विमर्श किया।
उन्होंने चर्चा में शामिल सभी लोगों से प्रदेश में इस कानून को प्रभावी तरीके से लागू करने सुझाव मांगे। बैठक में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री गौरव द्विवेदी भी मौजूद थे। आदिवासी समाज और नागरिक संगठनों के अनेक प्रतिनिधि वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए भी चर्चा में शामिल हुए।
छत्तीसगढ़ सरकार ‘पेसा’ को लागू करने प्रतिबद्ध
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने बैठक में कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ‘पेसा’ को लागू करने प्रतिबद्ध है। जनजातीय समाज के हितों की रक्षा और वनांचलों के विकास में उनकी सीधी भागीदारी सुनिश्चित करने में ‘पेसा’ (‘Pesa’ law) महती भूमिका निभाएगा। इससे न केवल उनकी संस्कृति, परंपरा, रीति-रिवाजों और पारंपरिक ज्ञान को सुरक्षित रखा जा सकेगा, बल्कि उनके कल्याण के लिए जल, जंगल और जमीन के साथ अन्य प्राकृतिक संसाधनों को भी सहेजा जा सकेगा।
जानकारों के सुझावों को किया जाएगा शामिल
उन्होंने कहा कि ‘पेसा’ (‘Pesa’ law) अनुसूचित क्षेत्र के लोगों के लिए संवेदनशील विषय रहा है। इसे लागू करने के लिए अनुसूचित क्षेत्रों के रहवासियों, समुदायों, जनप्रतिनिधियों और आदिवासी मुद्दों के जानकारों के सुझावों को शामिल कर नियम तैयार किए जाएंगे। श्री सिंहदेव ने कहा कि ‘पेसा’ के लिए नियम बनाने आज शुरू हुई चर्चा का विस्तार किया जाएगा। अनुसूचित क्षेत्रों वाले जिलों और विकासखंडों के लोगों से भी चर्चा कर उनके सुझावों को इसमें शामिल किया जाएगा।
38 प्रावधान प्रदेश में प्रभावी ढंग होगा लागू
उन्होंने कहा कि ‘पेसा’ (‘Pesa’ law) के सभी 38 प्रावधान प्रदेश में प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके, इसके लिए सभी स्तरों पर वृहद चर्चा के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। पंचायत विभाग इस कानून को अमल में लाने वाले दूसरों राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्रप्रदेश, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के नियमों का भी अध्ययन कर रहा है। उन्होंने कहा कि पंचायतीराज और ‘पेसा’ कानून की आत्मा को बरकरार रखते हुए अनुसूचित क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन की प्रभावी रीति-नीति तय की जाएगी।
आदिवासी समाज और गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने ‘पेसा’ (‘Pesa’ law) पर चर्चा के दौरान ग्रामसभा के सशक्तिकरण, प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग, रीति-रिवाजों, परंपरा और संस्कृति के संरक्षण, जमीन अधिग्रहण, ग्राम कोष, वनवासियों के कल्याण तथा नई विकास परियोजनाएं शुरू करने के संबंध में अनेक सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि ‘पेसा’ के लिए नियम बनाते समय वर्तमान राजस्व और वन कानूनों का भी अध्ययन जरूरी है। इसे प्रभावी ढंग से लागू करने यदि इनमें संशोधन की जरूरत हो तो उस पर भी विचार किया जाना चाहिए। लोकतांत्रिक शक्तियों के विकेन्द्रीकरण के लिए समग्र नियम आवश्यक हैं।