बीजापुर जिले में माओवादी हिंसा के खिलाफ चल रही सख्त कार्रवाई और प्रभावी पुनर्वास नीति का बड़ा असर देखने को मिला है। जिले में कुल 84 लाख रुपये के इनामी 34 माओवादियों ने हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौटने (Chhattisgarh Naxal Surrender) का निर्णय लिया है। यह आत्मसमर्पण छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति की सफलता को दर्शाता है।
आत्मसमर्पण (Chhattisgarh Naxal Surrender) करने वालों में 7 महिला और 27 पुरुष माओवादी शामिल हैं, जो लंबे समय से विभिन्न माओवादी संगठनों से जुड़े थे। आठ-आठ लाख रुपये के इनामी पंडरू पुनेम, रूकनी हेमला, देवा उईका, रामलाल पोयाम और मोटू पूनेम शामिल हैं। वहीं पांच-पांच लाख रुपये के इनामी मीना माड़वी, सुदरू पुनेम और लिंगे कुंजाम ने भी हिंसा का रास्ता छोड़ दिया है।
यह बड़ी सफलता पुलिस महानिरीक्षक बस्तर रेंज, केरिपु छत्तीसगढ़ सेक्टर रायपुर, उप पुलिस महानिरीक्षक दंतेवाड़ा रेंज और पुलिस अधीक्षक बीजापुर डा. जितेंद्र कुमार यादव के मार्गदर्शन में प्राप्त हुई है। डीआरजी, बस्तर फाइटर, एसटीएफ, कोबरा और केरिपु बलों के संयुक्त दबाव और सतत अभियानों से प्रभावित होकर इन माओवादी कैडरों ने आत्मसमर्पण किया।
मुख्यधारा में लौटने वाले कैडर दक्षिण सब जोनल ब्यूरो, केरलापाल एरिया कमेटी, पीएलजीए कंपनियों और अन्य माओवादी संगठनों से जुड़े रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार, यह आत्मसमर्पण राज्य सरकार की पुनर्वास नीति की सफलता को दर्शाता है, जिसका प्रभाव अब स्थानीय के साथ-साथ अंतरराज्यीय स्तर पर भी दिखाई दे रहा है।
पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, 1 जनवरी 2024 से अब तक बीजापुर जिले में कुल 824 माओवादी कैडर हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं। पुलिस अधीक्षक ने शेष माओवादियों से भी अपील की है कि वे हिंसक विचारधारा का परित्याग कर शासन की पुनर्वास नीति का लाभ लें और सामान्य जीवन की ओर लौटें।
आत्मसमर्पण करने वाले प्रत्येक माओवादी को 50 हजार रुपये की तात्कालिक आर्थिक सहायता दी जाएगी और आगे उन्हें शासन की विभिन्न पुनर्वास एवं स्वरोजगार योजनाओं से जोड़ा जाएगा। यह कदम बीजापुर और बस्तर क्षेत्र में स्थायी शांति, विकास और भरोसे की बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है।

