छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले (Chhattisgarh Liquor Scam) में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने बड़ा और सनसनीखेज दावा करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल उर्फ बिट्टू बघेल की भूमिका को केंद्रीय बताया है।
EOW ने रायपुर की विशेष अदालत में करीब 3800 पन्नों की आठवीं चार्जशीट दाखिल करते हुए कहा है कि चैतन्य बघेल को इस घोटाले से सीधे तौर पर 200 से 250 करोड़ रुपये की अवैध राशि मिली है। जांच एजेंसी ने यह भी दावा किया है कि चैतन्य बघेल न केवल शराब सिंडिकेट का अहम हिस्सा था, बल्कि पूरे तंत्र का संरक्षक और मार्गदर्शक भी था।
चार्जशीट के अनुसार, छत्तीसगढ़ शराब घोटाला (Chhattisgarh Liquor Scam) केवल अवैध वसूली तक सीमित नहीं था, बल्कि इसे एक संगठित और सुनियोजित सिंडिकेट के रूप में संचालित किया गया, जिसमें राजनीतिक संरक्षण, प्रशासनिक सहयोग और कारोबारी नेटवर्क की मजबूत कड़ी मौजूद थी।
सिंडिकेट खड़ा करने में अहम भूमिका
EOW ने अपनी चार्जशीट में दावा किया है कि चैतन्य बघेल की भूमिका तत्कालीन आबकारी व्यवस्था में एक समानांतर वसूली तंत्र यानी सिंडिकेट को खड़ा करने में रही। जांच में सामने आया है कि सिंडिकेट के संचालन के लिए प्रशासनिक अधिकारियों और जमीनी स्तर के कारोबारियों के बीच समन्वय स्थापित करने का काम चैतन्य बघेल करता था।
चार्जशीट में अनिल टुटेजा, सौम्या चौरसिया, अरुणपति त्रिपाठी और निरंजन दास जैसे वरिष्ठ अधिकारियों के नामों का उल्लेख है, जिनके साथ कथित तौर पर चैतन्य बघेल का सीधा तालमेल था। वहीं, अनवर ढेबर, अरविंद सिंह और विकास अग्रवाल जैसे लोग सिंडिकेट के जमीनी संचालन में शामिल बताए गए हैं।
हाई लेवल तक पहुंचाई गई घोटाले की रकम
EOW के अनुसार, सिंडिकेट के जरिए शराब कारोबार से अवैध रूप से एकत्र की गई रकम को हाई लेवल तक पहुंचाने की जिम्मेदारी चैतन्य बघेल निभा रहा था। जांच में सामने आया है कि अनवर ढेबर की टीम द्वारा जुटाई गई रकम को चैतन्य अपने भरोसेमंद लोगों और विभिन्न फर्मों के माध्यम से आगे बढ़ाता था।
चार्जशीट में यह भी दावा किया गया है कि त्रिलोक सिंह ढिल्लन की अलग-अलग फर्मों के जरिए चैतन्य बघेल ने अपनी हिस्सेदारी की राशि बैंकिंग चैनल के माध्यम से प्राप्त की और उसे अपने पारिवारिक व्यवसायों में लगाया। इस रकम का बड़ा हिस्सा निर्माणाधीन रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में निवेश किया गया।
रियल एस्टेट में किया गया निवेश
जांच एजेंसी के मुताबिक, चैतन्य बघेल ने शराब घोटाले से अर्जित अवैध धन को वैध रूप देने की कोशिश की। यह पैसा उसके रियल एस्टेट व्यवसाय में लगाया गया, जिसे बाद में वैध निवेश के तौर पर दर्शाया गया।
EOW और प्रवर्तन निदेशालय (ED) दोनों का दावा है कि चैतन्य बघेल की फर्म एम/एस बघेल डेवलपर्स के तहत संचालित ‘विठ्ठल ग्रीन’ प्रोजेक्ट में बड़ी मात्रा में घोटाले की रकम का निवेश किया गया। इसके अलावा पारिवारिक मित्रों और सहयोगियों के खातों के जरिए भी राशि को घुमाकर निवेश किया गया।
अब तक 3074 करोड़, आगे बढ़ सकती है राशि
चार्जशीट में यह भी उल्लेख है कि अब तक की जांच में शराब घोटाले की कुल रकम लगभग 3074 करोड़ रुपये आंकी गई है। EOW ने आशंका जताई है कि आगे की जांच में यह आंकड़ा 3500 करोड़ रुपये से भी अधिक हो सकता है। एजेंसी का मानना है कि अवैध वसूली का दायरा राज्यभर में फैला हुआ था और इसमें कई स्तरों पर रकम का बंटवारा किया गया।
ED का दावा: नेटवर्क का कंट्रोल चैतन्य के पास
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में भी चैतन्य बघेल की भूमिका को बेहद अहम बताया गया है। ED के अनुसार, शराब सिंडिकेट के सर्वोच्च स्तर पर चैतन्य बघेल मौजूद था और राजनीतिक प्रभाव के चलते पूरे नेटवर्क का नियंत्रण उसी के पास था। ED ने दावा किया है कि अवैध रकम की कलेक्शन, चैनलाइजेशन और वितरण से जुड़े सभी बड़े फैसले चैतन्य बघेल के निर्देश पर लिए जाते थे। यही नहीं, वह अवैध आय का हिसाब-किताब भी रखता था।
जेल में बंद, जांच तेज
गौरतलब है कि चैतन्य बघेल 18 जुलाई 2025 से न्यायिक हिरासत में जेल में बंद है। हाल ही में ED ने सौम्या चौरसिया को भी गिरफ्तार किया है, जिन्हें PMLA कोर्ट ने 14 दिन की रिमांड पर भेजा है। पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास की गिरफ्तारी से भी इस मामले ने और तूल पकड़ लिया है। जांच एजेंसियों का कहना है कि शराब घोटाले से जुड़े सभी पहलुओं की परत-दर-परत जांच की जा रही है और आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।

