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‘छग के विभागों में अनारक्षित बिंदु पर पदोन्नति से अजा, अजजा के अधिकारों का हनन’

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रायपुर/नवप्रदेश। छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) राज्य के सभी सरकारी विभागों (government department) में पदोन्नति (promotion) सूची लगातार जारी हो रही है। लॉकडाउन की स्थिति में सभी विभागों ने लगातार अनारक्षित बिंदु पर पदोन्नति देना शुरू कर दिया है।

वहीं दूसरी ओर पदोन्नति (promotion) में आरक्षण से जुड़ा मामला हाईकोर्ट में लंबित है। सोशल जस्टिस लीगल सेल (social justice legal cell) के कोऑर्डिनेटर विनोद कुमार कोसले ने इस संबंध में बताया कि अनुसूचित जाति (अजा) , जनजाति (अजजा) रोस्टर बिंदु रोक का मतलब एससी, एसटी के पदों को खत्म करना नहीं है।

बल्कि विद्यमान पदोन्नति नियमों के अनुसार रिक्त पदों को अनारक्षित, अनुसूचित जाति व जनजाति श्रेणी में बांटकर पदोन्नति (promotion) देते हुए अनुसूचित जाति व जनजाति के पदों को सुरक्षित रखना चाहिए था। लेकिन छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) के सरकारी विभागों (government department) में ऐसा न किया जाकर सारे पदों पर अनारक्षित बिंदु में पदोन्नति देने की कार्रवाई अनवरत जारी है, जो अनुसूचित जाति व जनजाति के संवैधानिक अधिकारों का हनन है।

कई बार हुआ पत्र व्यवहार पर नतीजा सिफर

कोसले ने बताया कि सोशल जस्टिस लीगल सेल (social justice legal cell) के द्वारा सामान्य प्रशासन विभाग, मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन व डीजीपी पुलिस मुख्यालय नवा रायपुर को तीन बार पत्र के माध्यम से अवगत कराया जा चुका है। इसके बावजूद सारे पदों पर अनारक्षित बिंदु में पदोन्नति देने की कार्रवाई अनवरत जारी है।

हाईकोर्ट में मामले की कहानी

हाईकोर्ट द्वारा पदोन्नति में आरक्षण नियम 2003 के उपनियम 5 पर 2 माह के लिए स्टे लगा दिया गया था। राज्य शासन के महाधिवक्ता द्वारा कोर्ट में पदोन्नति में आरक्षण नियम 2003 के उपनियम 5 में आंशिक त्रुटि माना था और इसे युद्ध स्तर पर संशोधन कर नियम प्रतिस्थापित कर नए नियम फ्रेम करने की बात कोर्ट में कही थी। कोर्ट में सुनवाई 16 अप्रैल के लिए निर्धारित की गई थी। लेकिन 21 मार्च से कोरोना के वजह से लॉक डाउन की स्थिति निर्मित हो गई। ऐसे में पदोन्नति में आरक्षण केस की सुनवाई आगे नहीं बढ़ पाई और मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है।

रोक सिर्फ उप नियम 5 पर

वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन की स्थिति में भी सभी विभागों ने लगातार अनारक्षित बिंदु पर पदोन्नति देना शुरू कर दिया है। छत्तीसगढ़ पदोन्नति नियम 2003 के उप नियम 5 पर ही रोक लगी है, जबकि बाकी सारी कंडिकाएं अभी भी लागू हैं। विभागों में रिक्त पदों को अनारक्षित श्रेणी में ही भरने के लिए किसी भी प्रकार के पदोन्नति नियम नहीं बने हैं।

…तो अजा, अजजा वालों को करना पड़ सकता है वर्षों इंतजार


छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) शासन द्वारा छ ग.लोक सेवा पदोन्नति नियम 2003 के उप नियम को 5 को नए सिरे से प्रतिस्थापित करना प्रक्रियाधीन है। लगातार पदोन्नति अनारक्षित बिंदु पर भरने से अनुसूचित जाति (अजा) व जनजाति (अजजा) के लिए रिक्त पद नहीं बच पाएंगे। परिणामस्वरूप अनुसूचित जाति और जनजाति के अधिकारी कर्मचारियों को पदोन्नति के लिए कई वर्ष इंतजार करना पड़ सकता है। सबसे ज्यादा पुलिस विभाग द्वारा पदोन्नति सूची जारी की जा रही है।

ये मांग भी की है अजा, अजजा के कर्मी-अफसरों ने

सोशल जस्टिस लीगल सेल ने कहा है कि प्रदेश भर में 1 लाख से अधिक अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के अधिकारी कर्मचारियों द्वारा सभी विभागों के कुल रिक्त पदों में से अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए पद संरक्षित करने एवं पदों को संरक्षित करने की सूचना सार्वजनिक करने मांग की जाती है। विभागों द्वारा रिक्त सारे पदों को अनारक्षित श्रेणी में भरने के दुष्चक्र से 1 लाख से अधिक अनुसूचित जाति व जनजाति अधिकारी कर्मचारियों में रोष व्याप्त है।

आंदोलन की चेतावनी

सोशल जस्टिस लीगल सेल की ओर से कहा गया है कि हम लॉकडाउन का पालन करते हुए केवल पत्र व्यवहार से विभागों को अवगत करा रहे हैं। हम कोई विरोध प्रदर्शन नहीं करना चाहते हैं। यदि हमारी जायज मांगों को अनदेखा किया जाता है तो हम धरना प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी। (छाया प्रतीकात्मक)

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