रायपुर, 6 जून। Chhattisgarh Folk Instruments : प्रख्यात लोक वाद्य संग्राहक रिखी क्षत्रिय की 4.5 दशक की मेहनत रंग लाई है। वर्षों से तत्कालीन मध्यप्रदेश और मौजूदा छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल में घूम-घूम कर दुर्लभ लोकवाद्यों का संग्रह कर रहे रिखी क्षत्रिय ने इनकी पूरी जानकारी अब किताब के स्वरूप में शोधार्थियों और पाठकों के लिए उपलब्ध करा दी है। रिखी क्षत्रिय और उनकी पत्नी अन्नपूर्णा क्षत्रिय ने अपनी खोज यात्रा और शोध के उपरांत ‘छत्तीसगढ़ के लोकवाद्य’ शीर्षक से किताब को अंतिम रूप दिया है।
इस किताब में 150 से ज्यादा दुर्लभ वाद्यों से संबंधित सारी जानकारियों का दस्तावेजीकरण किया गया है। यह किताब जल्द ही शोधार्थियों और पाठकों के लिए उपलब्ध होने जा रही है। इससे पहले 4 जून की शाम राजधानी रायपुर में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने अपने कार्यालय में एक संक्षिप्त समारोह में इस किताब का विमोचन किया।
डॉ. रमन ने रिखी-अन्नपूर्णा क्षत्रिय दंपति की इस पहल की तारीफ करते हुए कहा कि इससे निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ के दुर्लभ वाद्य और इनमें समाहित संस्कृति से देश और दुनिया रूबरू होगी। डॉ. रमन ने कहा कि अब तक रिखी क्षत्रिय के इन दुर्लभ लोक वाद्य संग्रह को देश के राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई हस्तियां देख चुकी हैं और वह स्वयं भी रिखी क्षत्रिय के इस समर्पण के प्रशंसक रहे (Chhattisgarh Folk Instruments)हैं। डॉ. रमन ने उम्मीद जताई कि रिखी भविष्य में और भी दुर्लभतम लोक वाद्यों से देश और दुनिया को रूबरू कराएंगे।
इस संदर्भ में रिखी क्षत्रिय ने बताया कि युवावस्था से ही उन्होंने दुर्लभ लोकवाद्यों का संग्रह शुरू कर दिया था फिर भिलाई इस्पात संयंत्र की सेवा के दौरान भी यह शौक जुनून में बदलता गया। जिसके चलते अब उनके पास 200 से ज्यादा दुर्लभ लोक वाद्य का संग्रह है।
कुहूकी कला ग्राम मरोदा सेक्टर निवासी रिखी क्षत्रिय ने अपने संग्रह पर आधारित किताब की जरूरत पर कहा कि हमारी आज की पीढ़ी लोक वाद्यों के प्रति विमुख होते जा रही है, ऐसे में आने वाली पीढ़ी को हमारे प्रकृति प्रदत्त लोक वाद्यों और इनकी उत्पत्ति की जानकारी मिलना मुश्किल हो (Chhattisgarh Folk Instruments)जाएगी।
आज की पीढ़ी को इन लोक वाद्यों के बारे में बताना जरूरी है कि इनका निर्माण कैसे हुआ, हमारे पूर्वज इनका निर्माण, वादन किस लिए करते थे? मनोरंजन के लिए या अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए, यह भी बताना जरूरी है। आदि मानव को वाद्य यंत्र निर्माण करने की प्रेरणा कहाँ से मिली?