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Chhattisgarh Folk Festival : रायपुर में धूमधाम से मनाया जाएगा करमा तिहार…कंवर युवा प्रभाग की पहल…प्रकृति पर्व भादो एकादशी व्रत और करमा तिहार का भव्य आयोजन…

Chhattisgarh Folk Festival

Chhattisgarh Folk Festival

Chhattisgarh Folk Festival : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में इस साल करमा तिहार का पर्व बड़े ही धूमधाम और पारंपरिक तरीके से मनाया जाएगा। मुख्यमंत्री निवास, नवा रायपुर अटल नगर में 3 सितंबर 2025, बुधवार को आयोजित होने वाले इस विशेष समारोह में स्वयं मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी भी शामिल होंगे। यह आयोजन छ.ग. कंवर समाज युवा प्रभाग महानगर इकाई, टाटीबंध, रायपुर द्वारा किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति और आदिवासी परंपराओं को बढ़ावा देना है।

कार्यक्रम की रूपरेखा

यह उत्सव दोपहर 4 बजे से शुरू होगा। शाम 6 बजे करम डार की स्वागत पूजा के साथ समारोह का आरंभ होगा, जिसके बाद शाम 7 बजे मुख्यमंत्री का आगमन होगा।पूरे आयोजन में पारंपरिक अनुष्ठानों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का संगम देखने को मिलेगा। रात 9 बजे से पारंपरिक सामूहिक करमा नृत्य और गीत शुरू होंगे, जिसमें सैकड़ों कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। रात 10 बजे रात्रि भोजन की व्यवस्था की गई(Chhattisgarh Folk Festival) है, और इसके बाद रात 11 बजे से सुबह 6 बजे तक रात्रि जागरण होगा, जिसमें सभी अतिथि करमा नृत्य और गायन में हिस्सा लेंगे। अगले दिन सुबह 7 बजे करम डार विसर्जन पूजा के साथ इस भव्य आयोजन का समापन होगा।

प्रमुख अतिथियों की उपस्थिति

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे। कृषि मंत्री रामविचार नेताम कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। उनके साथ वन मंत्री केदार कश्यप, पर्यटन मंत्री राजेश अग्रवाल और अन्य वरिष्ठ मंत्री भी शामिल होंगे। इस समारोह में रायपुर के सांसद बृजमोहन अग्रवाल, धमतरी के जिला पंचायत सभापति टीकाराम कंवर, और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. नंदकुमार साय जैसे गणमान्य व्यक्ति भी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे।

सामाजिक एकता और प्रकृति का संरक्षण

कंवर समाज के युवाओं ने बताया कि यह उत्सव न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, बल्कि यह आदिवासी समाज की परंपराओं और प्रकृति के प्रति उनके सम्मान को भी दर्शाता(Chhattisgarh Folk Festival) है। यह पर्व सामाजिक एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने के साथ-साथ प्रकृति और वन संरक्षण का संदेश भी देता है, जो छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग है।

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