Chhattisgarh Culture Celebration : पंडवानी केवल एक गायन शैली नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की आत्मा है। इसी विधा ने हमारी माटी को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है। न्यूयॉर्क, पेरिस और लंदन जैसे मंचों पर हमारे कलाकारों ने (Pandwani Festival Chhattisgarh 2025) के जरिए महाभारत की कथाओं को जीवंत कर दिया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने दुर्ग जिले के ग्राम मेड़ेसरा में आयोजित पंडवानी महासम्मेलन के समापन समारोह में कहा कि पंडवानी आज नारी सशक्तिकरण, लोक चेतना और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बन चुकी है।
छत्तीसगढ़ शासन संस्कृति विभाग रायपुर के सौजन्य से आयोजित इस कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री अरुण साव, विधायक डोमनलाल कोर्सेवाड़ा, ललित चंद्राकर, ईश्वर साहू, राज्य तेलघानी बोर्ड के अध्यक्ष जितेंद्र साहू, पूर्व मंत्री रमशीला साहू, पूर्व विधायक लाभचंद बाफना, डॉ. दयाराम साहू, जिला पंचायत अध्यक्ष सरस्वती बंजारे तथा दुर्ग नगर निगम की महापौर अलका बाघमार उपस्थित थीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंडवानी के पुरोधा झाड़ूराम देवांगन जी की स्मृति आज भी जीवंत है। जब वे तंबूरा लेकर गाते थे तो पूरा जनसमूह मंत्रमुग्ध हो जाता था। महिला कलाकारों ने इस विधा में असाधारण पहचान बनाई है। लक्ष्मी बंजारे और तीजन बाई जैसी विभूतियां छत्तीसगढ़ का गौरव हैं। तीजन बाई को पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण तीनों सम्मान प्राप्त हुए हैं। उनका गायन सुनकर ऐसा लगता है जैसे आकाश के देवता भी उन्हें सुन रहे हों। साय ने कहा कि मैंने श्याम बेनेगल की ‘भारत एक खोज’ में तीजन बाई का पंडवानी गायन देखा है, जो भारतीय संस्कृति की आत्मा को छू जाता है। पद्मश्री डॉ. उषा बारले जैसी कलाकार इस परंपरा को नई पीढ़ी तक पहुंचा रही हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि (Pandwani Festival Chhattisgarh 2025) हमारी अमूल्य धरोहर है, जिसे सहेजना हम सबकी जिम्मेदारी है। रामलीला मंडलियों ने जहां रामायण को जन-जन तक पहुँचाया, वहीं पंडवानी ने महाभारत की गाथाओं को जीवित रखा। यह कला स्त्री-पुरुष भेद से परे है और मातृशक्ति की संवेदनशीलता की प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि सरगुजा से बस्तर तक हर क्षेत्र की अपनी विशिष्ट संस्कृति है। सरकार कलाकारों को सम्मानित करने और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए समर्पित है। कलाकारों की पेंशन राशि बढ़ाई गई है और अवसरों में भी वृद्धि की गई है। साथ ही ‘चित्रोत्पला फिल्म सिटी’ की स्थापना से छत्तीसगढ़ी सिनेमा को नया आयाम मिलेगा।
साय ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जब छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया था, तब उन्होंने विकास के साथ संस्कृति संरक्षण को भी प्रमुख स्थान दिया था। 1 नवंबर को राज्य की रजत जयंती मनाई जाएगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन से यह अवसर ऐतिहासिक बनेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा विभाग जल्द ही 5000 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करेगा, जिससे ग्रामीण और आदिवासी अंचलों में शिक्षकों की कमी दूर होगी।
मुख्यमंत्री साय ने (Pandwani Festival Chhattisgarh 2025) के मंच से कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं – नागरिक कल्याण महाविद्यालय नंदिनी में स्नातकोत्तर कक्षाएं प्रारंभ होंगी, अछोटी में बीएड महाविद्यालय की स्थापना की जाएगी, मेड़ेसरा को आदर्श ग्राम बनाया जाएगा, समुदायिक भवन के लिए 20 लाख रुपये दिए जाएंगे और सभी पंचायतों में सीसी रोड का निर्माण कराया जाएगा। कार्यक्रम के अध्यक्ष उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने सभी पंडवानी कलाकारों को बधाई दी और कहा कि छत्तीसगढ़ की धरती प्रतिभा से परिपूर्ण है। उन्होंने राज्योत्सव में सभी को रायपुर आमंत्रित किया। कार्यक्रम की संयोजक पद्मश्री डॉ. उषा बारले ने मुख्य अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय कलाकार दिवस छत्तीसगढ़ की संस्कृति के सम्मान का दिवस है। इस अवसर पर संभाग आयुक्त एस.एन. राठौर, आईजी आर.जी. गर्ग, कलेक्टर अभिजीत सिंह, एसएसपी विजय अग्रवाल, अनेक अधिकारी, पंडवानी कलाकार और बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित रहे।

