राधे पटेल
मैनपुर/नवप्रदेश। छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) का हर ठेकेदार (contractor) चाहेगा कि उसे गरियाबंद (gariaband district) जिले में जो काम हो रहा है वैसा ही काम मिले। आखिर ठेकेदार का अनियमितता (irregularity) के जरिए निर्माण कार्य में लगने वाले मटेरियल का पैसा जो बच रहा है।
बात हो रही है गरियाबंद (gariaband district) जिले में स्थित छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) की वृहद सिंचाई परियोजना सिकासार (sikasar dam) जलाशय की। जहां बड़ी अनियमितता (irregularity) सामने आ रही है। इसके मेंटनेंस पर राज्य सरकार की ओर से बड़ी राशि खर्च की जाती है।
वर्तमान में छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) के सिकासार (sikasar dam) जलाशय में बारिश के दिनों में ज्यादा पानी होने की स्थिति में पानी की ठीक तरह से निकासी के लिए स्लोपिंग का काम कराया जा रहा है। यहां लॉकडाउन के दौरान भी काम चालू है। लेकिन इसमें अनियमितता (irregularity) की झलक दिखाई देने लगी है। जिस ठेकेदार (contractor ) को ये काम सौंपा गया है उसके द्वारा जलाशय परिसर में बिना अनुमति स्टोन क्रेशर मशीन लगाकर जलाशय के पत्थरों को तोड़कर गिट्टी बनाई जा रही है ताकि इसे जलाश के उक्त निर्माण कार्य में इस्तेमाल किया जा सके।
जबकि अबतक प्राप्त जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) के इस जलाशय परिसर में इस तरह से के्रशर मशीन स्थापित करने और यहां के पत्थरों से गिट्टी बनाने के लिए अनुमति नहीं दी गई है। इसके लिए रॉयल्टी भी जरूरी होती है। लेकिन अब तक परिसर का गिट्टी खदान के रूप में ठेका होने की जानकारी नहीं है। कार्यकारी अभियंता पीके आनंद के मुताबिक यहां पार बनाने का काम चल रहा है।
लॉकडाउन के कारण साइट पर नहीं पहुंच पा रहे अफसर, इंजीनियर
परिसर के लोगों की मानें तो उक्त निर्माण कार्य पूर्णत: ठेकेदार की मनमानी से चल रहा है। विभागीय अधिकारी व इंजीनयर लॉक डाउन के कारण साइट पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। लिहाजा आलम ये है कि पूरा काम ठेकेदार की मनमर्जी से चल रहा है। इससे तुर्रा ये कि जलाशय परिसर से अवैध रूप से पत्थरों की तुड़ाई कर गिट्टी बनाई जा रही है।
लेकिन जिम्मेदार अफसरों के रुख से ऐसा लग रहा है कि उन्हें इससे कुछ लेना देना ही नहीं। ठेकेदार द्वारा बांध निर्माण स्थल पर बिना किसी अनुमति के स्टोन क्रेशर दो माह पूर्व ही प्रारंभ कर दिया गया है। जिससे शासन को लाखों रुपए का चूना लग रहा है। कभी जिले के अफसर जलाशय का दौरा कर भी लें तो कार्रवाई करना मुनासिब नहीं समझते, अन्यथा कार्रवाई हो जाती।
जिम्मेदारों के रुख पर सवाल इसलिए भी
सप्ताह भर पूर्व ही जिले के कलेक्टर द्वारा उक्त स्थल का दौरा किया गया था, लेकिन ये बात समझ से परे है कि उनकी नजर इस अवैध गिट्टी क्रेशर पर क्यों नहीं पड़ी? पूरे मामले को लेकर जवाब जानने के लिए संवाददाता द्वारा कलेक्टर को उनके वाट्सप पर अवैध गिट्टी क्रेशर का वीडियो भेजा गया और उनके नंबर पर फोन भी लगाया गया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। जिले के खनिज अधिकारी को भी इस संबंध का वीडियो उनके वाट्ऐप पर भेजा गया, उन्होंने वीडियो देखा भी, लेकिन कॉल करने पर उन्होंने भी कॉल रिसीव नहीं किया।
निर्माण की गति बेहद धीमी
यहीं नहीं परिसर के लोगों का कहना है कि जलाशय पर किए जा रहे उक्त निर्माण कार्य की गति बेहद धीमी है। वहीं ठेकेदार ने उक्त निर्माण में लगने वाली गिट्टी को खरीदने की बजाय खुद राजस्व वन भूमि पर गिट्टी बनाने स्टोन क्रेशर लगा लिया। जिससे शासन को राजस्व का नुकसान हो रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार उक्त कार्य में हजारों क्यूबिक मीटर गिट्टी व रेत लगना है।
लेकिन ठेकेदार ने अवैध तरह से बिना खरीदे ही करीब आधी गिट्टी की व्यवस्था कर ली और इसे निर्माण कार्य में लगा भी दिया। यदि ठेकेदार द्वारा यह गिट्टी बाजार से खरीदता तो इसके लिए लाखों रुपए का भुगतान करना पड़ता, क्योंकि बाजार में गिट्टी का मूल्य 25-30 हजार रुपए प्रति हाइवा है।
सिकासार जलाशय के नजदीक संचालित गिट्टी क्रेशर हमारे वन परिक्षेत्र अंतर्गत नहीं है। उक्त भूमि राजस्व विभाग के अंतर्गत है। ठेकेदार द्वारा हमारे विभाग से एनओसी लिया है या नहीं इसकी मुझे जानकारी नहीं है। मैंने अभी कुछ दिन पूर्व ही चार्ज लिया है। ऑफिस पहुंच दस्तावेज देखकर ही बता पाऊंगा।
–राजेंद्र सोरी, वन परिक्षेत्र अधिकारी, धवलपुर (सामान्य)
हमारे द्वारा सिकासार में गिट्टी क्रेशर लगाने की अनुमति नहीं दी गई है। मैं उक्त गिट्टी के्रशर को अभी बन्द करवाता हूं।
-जेआर चौरसिया, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), गरियाबंद