Chhattisgarh Cable Scam : छत्तीसगढ़ में केंद्रीय बिजली वितरण सुधार योजना के तहत सामने आए केबल घोटाले ने बड़ा रूप ले लिया है। आरोप है कि 60 हजार करोड़ रुपये की इस योजना में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं हुईं। शुरुआती खुलासों में सिर्फ कोरबा जिले में ही 110 करोड़ रुपये का घोटाला उजागर हुआ है, जबकि बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, मुंगेली और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिलों में भी गड़बड़ियों की शिकायतें मिली हैं।
विद्युत वितरण विभाग ने इन जिलों में 12 विशेष जांच टीमें गठित की हैं, जिन्हें 10 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी। प्रारंभिक कार्रवाई में कोरबा और जांजगीर के दो कार्यपालन अभियंताओं को निलंबित(Chhattisgarh Cable Scam) किया गया है, वहीं रायपुर मुख्यालय में तैनात मुख्य अभियंता प्रोजेक्ट राजेंद्र प्रसाद का तबादला कर दिया गया है।
योजना के तहत खुले तारों को एरियल बंच केबल और प्रीपेड स्मार्ट मीटर से बदलने का काम हो रहा था। लेकिन कोरबा में 60 किलोमीटर क्षेत्र में लगाए गए निम्न-दाब केबल की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हुए हैं। आरोप है कि घटिया केबल का इस्तेमाल कर लगभग 35 प्रतिशत राशि की बचत दिखाई गई। बिलासपुर और मुंगेली के स्टोर रूम में रखे केबल और कंडक्टर का सैंपल जांच के लिए लिया गया है और स्टोर सील कर दिए गए हैं।
घोटाले की परतें सिर्फ तकनीकी गड़बड़ियों तक सीमित नहीं हैं। इस मामले से जुड़े कोयला घोटाले में निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू की संपत्तियों की भी जांच होगी। पीडब्ल्यूडी की टीम गरियाबंद के तुलसी गांव स्थित उनके मकान, फार्महाउस और दुकानों की जांच(Chhattisgarh Cable Scam) करेगी। ईओडब्ल्यू और एसीबी ने पीडब्ल्यूडी मुख्यालय से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। साहू को ईडी ने जुलाई 2023 में गिरफ्तार किया था और मार्च 2025 में सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत मिली थी।
फिलहाल, केबल घोटाले और इससे जुड़ी संपत्तियों की विवेचना समानांतर रूप से जारी है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि 10 दिन में आने वाली जांच रिपोर्ट से कितने और नाम इस घोटाले में सामने आते हैं।