पिथौरा (ग्रामीण)/नवप्रदेश। पेशे से मजदूर छत्तीसगढ़ के आदिवासी दंपति (chhattisgarh adivasi couple), पुश्तैनी जमीन के नाम पर कुछ भी नहीं, लेकिन इनके नाम से 300 एकड़ जमीन (300 acre of adivasi land )की खरीदी -बिक्री (sale and purchase) हुई है।
ये चौंकाने वाली बात छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) के प्रमुख दलाल लक्ष्मी नारायण अग्रवाल उर्फ फुन्नू के ठिकानों पर बीते दिनों हुई छापामार कार्रवाई के बाद निकलकर सामने आई है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के बेनामी प्रापर्टी हस्तांतरण निरोधक दस्ता द्वारा फुन्नू के ठिकानों पर की गई छापामार कार्रवाई में उसकी करीब 100 करोड़ रुपए की बेनाम संपत्ति जब्त की गई थी।
दस्ते द्वारा जब्त दस्तावेजों केे मुताबिक छत्तीसगढ़ के मजदूर आदिवासी दंपति (chhattisgarh adivasi couple) के नाम पर 300 एकड़ (300 acre of adivasi land) से अधिक की आदिवासियों की जमीन की खरीदी-बिक्री हुई। इस दंपति का नाम मानकी बाई तथा तुलसीराम है।
ये फुन्नू के गृह ग्राम बरेकेल खुर्द में रहते हैं। खास बात यह भी है कि मानकी बाई अंगूठा लगती है और तुलसी राम मात्र हस्ताक्षर करता है। दोनों ‘फुन्नू’ के घर के सामने कच्चे मकान में रहते हैं। इनके गरीबी रेखा के बने राशनकार्ड के मुताबिक, घर में दोनों साथ रहते हैं। दोनों की कोई संतान नहीं है।
20 साल से दलाल कर रहा इनके नाम का गलत इस्तेमाल
प्राप्त जानकारी के अनुसार दलाल नारायण अग्रवाल उर्फ फन्नू वर्ष 1991 से मानकी बाई व तुलसीराम के नाम से जमीन खरीदते-बेचते आ रहा है। वह करोड़ों की आदिवासी जमीन सीधे दानपत्र तथा कलेक्टर मंजूरी के जरिए बेच चुका है। वर्तमान में उनके नाम बची जमीन को राजसात किया गया है। मानकी बाई ने इस संबंध में बताया कि फुन्नू हर माह कुछ रुपए व एक कट्टा चावल देकर अंगूठा लगवा लेता है।
हाईकोर्ट ने सही ठहाराया कार्रवाई को नहीं मिली राहत
मामले की जांच के बाद पिथौरा थाने में एफआईआर के लिये रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। इसके अनुसार लक्ष्मीनारायण अग्रवाल ने पटवारी बेंजामिन सिक्का के साथ मिलकर शासकीय व निजी भूमियों में हेरफेर कर लाभ प्राप्त किया।
अग्रवाल परिवार इस कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं। लेकिन हाईकोर्ट ने दंपति की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने बेनामी प्रापर्टी हस्तांतरण निरोधक दस्ता की कार्रवाई को उचित करार दिया।