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Big Breaking : छत्तीसगढ़ 18 प्लस : टीकाकरण में आरक्षण, हाईकोर्ट में याचिका दायर

Chhattisgarh 18 Plus: Reservation in vaccination, petition filed in High Court

Bilaspur High court

जकांछ प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने भूपेश सरकार को दी चुनौति

रायपुर/ नवप्रदेश । cg 18 vaccination : 18 प्लस लोगों को प्रदेश सरकार द्वारा लगाई जाने वाले कोविड 19 वैक्सीन के टीकाकरण को लेकर राजनीति गरमा गया है। अंत्योदय कार्ड यानी बीपीएल कार्डधारियों को टीकाकारण में आरक्षण करना प्रदेश सरकार के लिए मुसीबत बनता नजर आ रहा है। टीकारण में आरक्षण का विरोध करते हुए जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सरकार के इस फैसले को चुनौति दी है।

अमित जोगी ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार के 30 अप्रैल के टीकाकरण अभियान के आरक्षण लागू करने के निर्णय को चुनौती देते हुए अधिवक्ता अरविंद श्रीवास्तव के माध्यम से हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर दी है।

याचिका में अमित जोगी ने दलील दी कि छत्तीसगढ़ सरकार का टीकाकरण में आरक्षण लागू करने का निर्णय असंवैधानिक और अनैतिक होने के साथ-साथ ग़ैर-वैज्ञानिक भी है। टीके की खुराक पहले उन लोगों को लगना चाहिए जिनके संक्रमित होने की अधिक सम्भावना है, भले ही वे किसी भी वर्ग या जाति के क्यों न हों। इस बात का निर्णय अस्पताल में विशेषज्ञ-डॉक्टर ही ले सकते हैं न कि वातानुकूलित कमरों में बैठे ग़ैर-विशेषज्ञ नेता।

याचिका में अमित जोगी ने कहा कि भारत के संविधान के अंतर्गत किसी भी शासक को यह तय करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता कि कौन जिये और कौन मरे। टीकाकरण का आधार आरक्षण की जगह विज्ञान होना चाहिए और उपचार का केवल एक ही आधार होता है जिसे चिकित्सा की भाषा में ट्रीआज़ कहा जाता है।

याचिका में अमित जोगी ने उल्लेख किया कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 15 अप्रैल को बुलाई सर्वदलीय बैठक में उन्होंने लिखित में कोरोना के रोकथाम, नियंत्रण और उपचार के लिए सुझाव दिए थे। इसमें उन्होंने शासन से आग्रह किया था कि ‘1 मई से शुरू होने वाले 18-45 आयु के लक्षित समूह के टीकाकरण अभियान में ट्रीआज़ के आधार पर पूर्व रोग से ग्रसित लोगों को पहले टीका लगाया जाना चाहिए।

अमित जोगी ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रचलित वैज्ञानिक सिद्धांतों को ताक में रखते हुए मनमाने तरीक़े से टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है जिसका ख़ामियाज़ा वास्तविक ज़रूरतमंदों को अपने जीवन से चुकाना पड़ सकता है। अमित ने हाई कोर्ट से इस मामले पर प्राथमिकता से सुनवाई करने की भी गुहार लगाई।

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