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लॉन्च के 52 दिनों के बाद चंद्रयान-2 चांद की सतह पर उतरेगा
बेंगलुरु। दुनिया के लिए भारत India का चंद्रयान-2 Chandrayaan 2 उम्मीद की एक नई किरण साबित हो सकता है। मिशन मून Mission Moon के तहत चांद के साउथ पोल South pole पर कदम रखने जा रहे चंद्रयान-2 Chandrayaan 2 से एक ऐसे अनमोल खजाने की खोज हो सकती है जिससे न केवल अगले करीब 500 साल तक इंसानी ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सकता है बल्कि कई ट्रिल्यन डॉलर की कमाई भी की जा सकेगी। ‘चंदा मामा से मिलने वाली यह ऊर्जा न केवल सुरक्षित होगी बल्कि तेल, कोयले और परमाणु कचरे से होने वाले प्रदूषण से मुक्त होगी।
चांद यात्रा का नेतृत्व करना चाहता है भारत
इसरो के वर्तमान चेयरमैन के सिवन ने इस संबंध में कहा, ‘जिस देश के पास ऊर्जा के इस स्रोत को चांद्र से धरती पर लाने की क्षमता होगी, वह इस पूरी प्रक्रिया पर राज करेगा…मैं केवल इस प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनना चाहता हूं बल्कि इसका नेतृत्व करना चाहता हूं। गौरतलब है कि पृथ्वी के विपरीत चंद्रमा की सतह पर हीलियम-3 बड़ी मात्रा में पाया जाता है। हालांकि अभी इसके उत्खनन की तकनीक अभी नहीं बन पाई है।
हीलियम-3 पर भारत की नजर काफी पहले से है। वर्ष 2006 में इसरो के तत्कालीन चेयरमैन माधवन नायर ने जोर देकर कहा था कि चंद्रयान-1 चंद्रमा की सतह पर हीलियम-3 की तलाश करेगा जिससे भविष्य में परमाणु रिएक्टर चलाए जा सकेंगे। मुंबई में भाभा परमाणु शोध संस्थान में दिए अपने एक भाषण में उन्होंने कहा, ‘हीलियम-3 की गुणवत्ता भी काफी मायने रखती है क्योंकि इसी आधार पर यह तय होगा कि उत्खनन किया जाए या नहीं।