Chanakya Niti in hindi : बिना धन के धार्मिक अनुष्ठान भी पूरे नहीं होते। इसीलिये धर्म की रक्षा के लिये धन वांछित। विद्या की रक्षा प्राप्त ज्ञानानुसार बार-बार स्मरण करने से होती है राज्य सत्ता की रक्षा के लिए नीतिवान व दयापूर्ण व्यवहार वांछित है तथा वर की रक्षा कुलीन स्त्री के द्वारा होती है। चरित्रहीन स्त्री तो घर को नष्ट।
अभिप्राय यह है कि धन के अभाव में धर्म-कार्य भी पूर्ण नहीं होते, अनचास से विद्या कण्ठस्थ नहीं रहती, राजा के कठोर व्यवहार से प्रजा खट हो जाती है तथा गृहपत्नी के चरित्रहीन होने पर कोई आंख उठाकर उस घर की ओर नहीं देखता।
कोयल की मीठी वाणी अर्थात् उसका कर्णप्रिय स्वर ही उसका रूप है, कोयल भी कौए के समान काली और कुरूप होती है, परन्तु उसका स्वर लोगों के कानों को इतना मधुर और प्रिय लगता है कि वे उसके कुरूप होने की उपेक्षा करके, उसकी भद्दी शक्ल का ध्यान न देकर उससे स्नेह करने लगते हैं।
Chanakya Niti in hindi इसी प्रकार स्त्रियों का सच्चा सौन्दर्य उनका पतिव्रता होना है, यदि रूपवती युवती चरित्रहीन है तो उसके रूप-सौन्दर्य की दृष्टि से साधारण होने पर भी पतिव्रता स्त्री अपनी स्वामी-भक्ति से पति की चहेती बन जाती है। विद्या रूपहीनों का रूप है, इसी प्रकार क्षमा तपस्वी का शृंगार है।
समानता व श्रेष्ठता का जिक्र करते हुए वह कहते हैं कि नारी में पुरूष की अपेक्षा दो गुना भोजन करने की क्षमता होती है, जबकि लज्जा चार गुणा अधिक पायी जाती है और साहस छह गुणा अधिक होता है। आचार्य चाणक्य की कलम लिखती है कि नदी के तेज बहाव के कारण उसके तट पर खड़े वृक्ष नष्ट हो जाते हैं।
उसी प्रकार जो नारी किन्हीं भी कारणों से दूसरों के घर रहती है, वह भी सदैव लांछित ही होती है, क्योंकि उसके लिए सतीत्व की रक्षा कठिन हो जाती है। Chanakya Niti in hindi अर्थात् नारी को दूसरों के घरों में नहीं रहना चाहिए। इसी प्रकार से जिस राजा का कोई मन्त्री नहीं होता है, वह भी विनाश के कगार पर रहता है।
अत: उचित परामर्श एवं सहयोग के लिए राजा के पास मन्त्री का होना आवश्यक होता है। ये सभी बातें मिथ्या नहीं वरन् उपयोगी हैं, जिनका पालन करना हितकारी ही होता है। घर विवाहिता पत्नी (नारी) से ही बनता है, किन्तु केवल नारी ही पर्याप्त नहीं, उसमें कुछ गुण भी होने चाहिए। उसका स्वच्छ, कुशल और पवित्र होना वांछनीय है।
पतिव्रता होना भी अनिवार्य है। पति के प्रति प्रेम-भाव न होगा तो वह पत्नी के कर्तव्यों का निर्वाह नहीं कर सकेगी। मन-वचन से सत्य बोलने वाली, अच्छा व्यवहार करने वाली होना भी श्रेष्ठ गुणवती पत्नी के लिए बहुत आवश्यक है। ऐसा उक्त गुणों से सम्मान पत्नी को पाकर पति धन्य हो जाता है। chanakya Niti in hindi इस संसार में मानव प्रवृत्ति की तरह सभी वस्तुओं के निर्मल (शुद्ध) होने की विधि भी अलग-अलग है।
कांसे का बर्तन राख से मांजने पर चमक उठता है। तांबे का पात्र इमली के पानी से धोने से निर्मल हो जाता है। स्त्री की देह रजस्वला होने के बाद स्वच्छ हो जाती है। शास्त्रों के अनुसार रजोदर्शन के उपरान्त स्नान से शुद्ध स्त्री ही सम्भोग और गर्भधारण के योग्य होती है, यही स्त्री की वास्तविक शुद्ध (पवित्रता) है। नदी का पानी भी तेज धारा में बहने के बाद स्वच्छ हो जाता है।