-कोई भी कार्य सोच-विचारकर किया जाता है, लेकिन वास्तव में वह विचार क्या है?
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किशोरावस्था व्यक्ति के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। इस उम्र में अगर युवा अपनी प्रतिभा को पहचान ले और अपनी सारी ऊर्जा सही दिशा में लगा दे तो वह कुछ भी हासिल कर सकता है। इतना ही नहीं वह जो भी लक्ष्य निर्धारित करता है, उसके प्राप्त होने की संभावना बहुत अधिक होती है।
क्योंकि उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उसके पास पर्याप्त समय, शक्ति, स्वास्थ्य आदि होता है। लेकिन अगर वे इस समय को अनावश्यक चीजों पर बर्बाद करते हैं, तो उनके पास जीवन भर पछताने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। इसलिए उन्हें सफलता में बाधा डालने वाली इन चीजों से हमेशा दूर रहना चाहिए।
लत: लत सब कुछ बर्बाद कर देती है, लेकिन कम उम्र में लत व्यक्ति के करियर, स्वास्थ्य, पारिवारिक जीवन, आर्थिक स्थिति को बर्बाद कर देती है। वह निराशा, अवसाद में पड़ जाता है। ऐसे में चाहकर भी उनकी जिंदगी पटरी पर नहीं आ पाती। इससे ऐसी क्षति होती है जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती।
आलस्य : आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। आलसी व्यक्ति अपने जीवन में कभी कुछ हासिल नहीं कर पाता। यदि युवावस्था में उसे आलस्य घेर ले तो वह अपने जीवन का सबसे कीमती समय गँवा देता है। इसके बजाय उसे अपने जीवन के इस सबसे रोमांचक समय का अधिकतम लाभ उठाना चाहिए।
कुसंगति: कोई व्यक्ति कितना भी संस्कारी, गुणवान, मेहनती, बुद्धिमान क्यों न हो, यदि वह कुसंगति में पड़ गया तो उसका विनाश निश्चित है। अपने जीवन में किसी समय वह बड़ी मुसीबत में पड़ जाता है और अपना भाग्य खो देता है। इसलिए हमें इस बात से सावधान रहना चाहिए कि हम किसके निकट रहते हैं।
स्वार्थी, झूठे और अहंकारी लोगों से खुद को दूर रखना चाहिए। इसलिए ऐसे लोगों से मित्रता करनी चाहिए जो अपना और दूसरों का विकास करें, प्रगति करें, दूसरों की मदद करें, सच बोलें। तभी प्रगति होती रहेगी।