नई दिल्ली, नवप्रदेश।आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) के अनुसार व्यक्ति को हमेशा अच्छी संगति में ही होना चाहिए, क्योंकि व्यक्ति की जैसी संगति होगी। व्यक्ति वैसा ही बनेगा। इसलिए व्यक्ति को हमेशा सकारात्मक लोगों के साथ ही रहना चाहिए। साथ ही साथ चाणक्य ने हमेशा उन व्यक्तियों से दूर रहने के लिए कहा है, जिनमें नकारात्मकता रहती है, उनसे हमेशा दूर ही रहना चाहिए।
आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) ने हमेशा ऐसे लोगों से दूरी बनाने के लिए कहा है, जानिए इनके बारे में,
ईश्वर की निंदा करने वाले लोग
चाणक्य नीति (Chanakya Niti) के अनुसार व्यक्ति को कभी भी ऐसे व्यक्ति के साथ नहीं रहना चाहिए जो हमेशा अपने भाग्य को कोसता है. हमेशा भगवान की निंदा करता है. ये सोचता है हमेशा उसी के साथ ऐसा क्यों होता है. ऐसा व्यक्ति आप में भी नकारात्मकता पैदा कर सकता हैं. ऐसा व्यक्ति हमेशा दुख में डूबा रहता है. इन्हें कोई भी खुश नहीं कर सकता है. इसलिए अपनी खुशी को बनाए रखने के लिए ऐसे लोगों से दूरी बनाएं.
मूर्खों के साथ नहीं रहा चाहिए
चाणक्य नीति के अनुसार मूर्ख लोगों के साथ नहीं रहना चाहिए. मूर्ख लोगों को कोई बात नहीं समझानी चाहिए. इससे आपका समय खराब होता है. मूर्ख लोग कभी किसी की बात नहीं मानते हैं केवल अपनी बात कहते हैं. आप इन्हें कितना भी समझाने की कोशिश कर लें. ये किसी की नहीं सुनते हैं. इनके साथ समय बिताना आपके के लिए नुकसानदायक है. इनसे बात करना आपनी ऊर्जा व्यर्थ करने जैसा है.
दुष्ट महिला
नकारात्मक विचारों वाली महिला से दूर रहना चाहिए. इनके कारण घर में केलश होता है. ऐसी महिलाएं आपके जीवन में परेशानी पैदा कर सकती हैं. इनसे हमेशा दूरी बनाकर रखनी चाहिए. इनकी मदद करना आपके लिए नुकसानदायक हो सकता हैं. ये आपकी मदद का गलत फायदा उठा सकती हैं. इसलिए ऐसी महिला से दूरी बनाकर रखें.
गुरु अपने शिष्य को जीवन में आगे बढ़ाने और अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रेरणा देते हैं. गुरु अपने शिष्य को सिखता है कि हर मुश्किल को कैसे पार करना है. लेकिन अगर गुरु को मूर्ख शिष्य मिल जाए तो ज्ञानी से ज्ञानी गुरु भी इसे कुछ नहीं सिखा पाता है. ऐसे शिष्य के कारण गुरु की छवि भी खराब होती है.
मूर्ख शिष्य
गुरु अपने शिष्य को जीवन में आगे बढ़ाने और अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रेरणा देते हैं. गुरु अपने शिष्य को सिखता है कि हर मुश्किल को कैसे पार करना है. लेकिन अगर गुरु को मूर्ख शिष्य मिल जाए तो ज्ञानी से ज्ञानी गुरु भी इसे कुछ नहीं सिखा पाता है. ऐसे शिष्य के कारण गुरु की छवि भी खराब होती है.