chanakya neeti: श्रेष्ठ और मधुर ढंग से बातचीत करना सीखना चाहिए
chanakya neeti: किसी गृहस्थ मनुष्य ने एक आनन्दमय योगी से पूछा- “महात्मन, आप अत्यन्त प्रसन्नचित्त दिखायी दे रहे है, ऐसा महसूस होता है कि आपको उत्तम परिवार मिला होगा, कृपया आप अपने परिवार के विषय में बतायें।”
योगी ने जवाब दिया- ‘मेरे मानव जीवन की हर गतिविधि सत्य पर आधारित है, सत्य-मेरी मां के समान है, यथार्थज्ञान-पालन पोषण के रूप में मेरा पिता है, धर्म-मेरा भाई है, दया करने की प्रवृत्ति-मेरी बहन है, शान्ति-मेरी पत्नी है, और क्षमा-मेरा पुत्र है। (chanakya neeti)
ये छह ही इस संसार में मेरे स्वजन हैं जिन्हें पाकर मेरा जीवन धन्य हो गया है। मुझे सांसारिक सम्बन्धों से कुछ भी लेना-देना नहीं है। इसीलिए मैं इतना प्रसन्नचित दिखायी देता हूं।”
हर मनुष्य को सभी विद्याओं में निपुण होना चाहिए। आचार्य चाणक्य के कथानुसार उसे राजपुत्रों से शालीनता और नम्रता की शिक्षा लेनी चाहिए। विद्वानों (सपुरूष) से श्रेष्ठ और मधुर ढंग से बातचीत करना सीखना चाहिए। (chanakya neeti)
जुआरिओं से असत्य भाषण (झूठ बोलना) विभिन्न तरीकों से और स्त्रियों से छल-कपट करने की शिक्षा लेनी चाहिए। अभिप्राय यह है कि आज के युग में जीने के लिए व्यक्ति के अन्दर उपरोक्त सभी गुण होने चाहिए।