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chanakya neeti: सिद्धि प्राप्त करने के लिये गुरु और साध्य वस्तु में श्रद्धा होनी..

chanakya neeti, to attain perfection, to have reverence in guru and practicable object,

chanakya neeti

chanakya neeti: वेद-विद्या का अध्ययन भी व्यर्थ हो जाता है बिना अग्निहोत्र के अनुष्ठान की शिक्षा के। धन कमाना, दान-दक्षिणा के बिना निष्प्रयोजन है। कोई भी सिद्धि बिना श्रद्धा के प्राप्त नहीं होती। सिद्धि प्राप्त करने के लिये गुरु और साध्य वस्तु में श्रद्धा होनी अनिवार्य है।

अपने निरन्तर अभ्यास से मनुष्य (chanakya neeti) अनेक गुणों को प्राप्त कर लेता है लेकिन अभ्यास से ही सब गुणं प्राप्त नहीं होते। कुछ गुण ऐसे भी होते हैं, जो स्वाभाविक होते हैं, जैसे-दानशीलता, मधुर बोलना, शौर्यता तथा पाण्डित्य-ये चार गुण ऐसे होते हैं जिनहे अभ्यास से प्राप्त नहीं किया जा सकता, ये किसी-किसी मनुष्य में स्वाभाविक होते हैं।

कहने का अभिप्राय यह है कि मनुष्य (chanakya neeti) में दो प्रकार के गुण होते हैं-यल और सहज। जिन्हें मनुष्य अपने प्रयास द्वारा प्राप्त कर लेता है, वे यलज होते हैं, और जो ईश्वर द्वारा प्राप्त प्रदत्त होते हैं वे सहज अर्थात् जन्मजात कहलाते हैं। इसी प्रकार उपयुक्त चार गुण सहज हैं उन्हें प्रयास द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता।

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