chanakya neeti: आचार्य चाणक्य के कहने का तात्पर्य यह है कि किसी कोई भी व्यक्ति अकेले अपने दम पर कोई भी कार्य नहीं कर सकता अर्थात् उसे प्रत्येक कार्य में समाज के किसी न किसी व्यक्ति के सहयोग की आवश्यकता अवश्य ही होगी।
जिन सद्पुरूषों के हृदय सागर में सदा परोपकार (chanakya neeti) की भावना जागृत रहती है, उनके सभी संकट नष्ट हो जाते हैं और उन्हें हर पग पर नाना प्रकार की सम्पत्तियां, सुख-वैभव सुलभ होते हैं।
परोपकार की महिमा (chanakya neeti) और शक्ति अद्भुत है, परोपकारी मनुष्य के दुःख नष्ट होते हैं और वैभव की प्राप्ति होती है। अतः मनुष्य को परोपकार की प्रवृत्ति अपनानी चाहिए, परोपकारहीन व्यक्ति का जीवन निरर्थक होता है।