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chanakya neeti: पुरूष उसे सौन्दर्य के भण्डार के रूप में देखता है और..

chanakya neeti, The man sees, her as a storehouse of beauty and,

chanakya neeti

chanakya neeti: एक ही पदार्थ देखने वालों के दृष्टिकोण की भिन्नता के कारण तीन व्यक्ति अपनी-अपनी बुद्धि के अनुसार उसे अलग-अलग रूपों में देखते हैं।

उदाहरण स्वरूप सौन्दर्यमयी नारी का शरीर का योगी (chanakya neeti) को दृष्टि में अतिकुरूप शव रूप (मरे हुए के समान) होता है, कामी पुरूष उसे सौन्दर्य के भण्डार के रूप में देखता है और कुत्तों के लिए मांस पिण्ड है।

जिस प्रकार कुरूपता अर्थात् किसी भी पदार्थ में भिन्नता देखने वालों की दृष्टि में रहती है, पदार्थ में नहीं, उसी प्रकार किसी नारी का सौन्दर्य अथवा असौन्दर्य का प्रतीक रूप भी देखने वालों की दृष्टि में ही होता है।

जिस मनुष्य का मन प्राणियों (chanakya neeti) को संकटावस्था में देखकर द्रवित हो जाता है उस मनुष्य को जटाएं बढ़ाने, भस्म लगाने, ज्ञान प्राप्त करने तथा मोक्ष के प्रति प्रयत्न करने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती।

दयाधर्म सभी धर्मों से बढ़कर है और दयालु प्रवृत्ति का मनुष्य ही सच्चे अर्थों में ज्ञानवान, भक्त, योगी मुक्तजीव है।

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