chanakya neeti: अच्छी से अच्छी बात अप्रासंगिक होकर प्रभावहीन हो जाती
chanakya neeti: समाज में लोकप्रियता प्राप्त करने के लिए, सबसे पहले दूसरों की निन्दा में लगी हुई वाणी पर रोक लगाओ। परनिन्दा में रस लेना दुष्ट मनुष्यों की प्रवृत्ति है। वाणी का संयम तपस्या है। निन्दा न करके दूसरों की प्रशंसा करने वाला ही लोकप्रिय होता है।
कहने का अभिप्राय यह है कि किसी की बुराई न करके दूसरों के गुणों की व्याख्या करने वाला मनुष्य सुखी जीवन व्यतीत करते हुए समाज में मान प्राप्त कर सकता है। अर्थात् लोकप्रिय हो सकता है।
विद्वान व्यक्ति (chanakya neeti) वही है जो अपने व्यक्तित्व के अनुकूल ऐसी बात करता हो, जो प्रसंग के भी अनुकूल हो। अच्छी से अच्छी बात अप्रासंगिक होकर प्रभावहीन हो जाती है। यदि वह बात अप्रिय हो, और उसमें क्रोध की अभिव्यक्ति हो तो भी वह क्रोध उतना ही प्रदर्शित होना चाहिए कि जितना निभाने की शक्ति हो।
अभिप्राय (chanakya neeti) यह है कि अवसरानुकूल बात करने की योग्यता रखने वाला, अपनी सामर्थ्य के अनुसार साहस करने वाला तथा अपनी शक्ति के अनुरूप क्रोधी ही विद्वान कहलाता है।