Site icon Navpradesh

chanakya neeti: मनुष्य को अपने जीवन में थोड़ा-थोड़ा धर्म का संचय करना भी..

chanakya neeti, Man should also accumulate, some religion in his life,

chanakya neeti 6

chanakya neeti: जिस तरह पानी की एक-एक बूंद से घड़ा भर जाता है, उसी तरह अभ्यास करने से सभी विद्याओं की प्राप्ति हो जाती है। इसी प्रकार मनुष्य को अपने जीवन में थोड़ा-थोड़ा करके धर्म का संचय भी करना चाहिए।

कहने का अर्थ यह है कि एक-एक बूंद पानी गिरने से घड़ा, एक-एक अक्षर प्रतिदिन पढ़ने से विद्वान, एक-एक पैसा जोड़ने से धनवान तथा थोड़ा-थोड़ा धर्मानुष्ठान (धर्म का काय) करने से मनुष्य धार्मिक प्रवृत्ति का न जाता है। (chanakya neeti) अतः किसी चीज को थोड़ा समझकर उसकी उपेक्षा नहीं करना चाहिए।

धन-सम्पत्ति पास होकर भी यदि वह दूसरों के पास पड़ी रहे और ऐन वक्त पर काम न आये तो ऐसे धनवान होने का क्या लाभ? (chanakya neeti) इसी प्रकार पुस्तकों में लिखी विद्या भी किस काम की जब तक उसका सदुपयोग न किया जाये।

विद्या और धन का महत्व उसका सदुपयोग करने में हैं, संचय करने में नहीं। (chanakya neeti) अभिप्रायः यह है कि पुस्तकों को पढ़कर काम चलाने वाला पंडित और दूसरों के पास अपना धन जमा करके उस पर निर्भर रहने वाले व्यक्ति अपने जीवन में समय पड़ने पर धोखा अवश्य खाते हैं।

Exit mobile version