chanakya neeti: हर मनुष्य का मन ही सुख-दुख और भलाई-बुराई का मूल तथ्य है। जिसने अपने मन को वश में कर लिया वही सुखी है। हर मनुष्य के बन्धन और मोक्ष प्राप्ति का कारण केवल उसका मन ही है। विषय-वासनाओं में फंसा हुआ मन मनुष्य के बंधनों का कारण होता है।
जिस मनुष्य (chanakya neeti) का मन विषय-वासनाओं में अछूता है, वह मोक्ष का भागी बनता है। अभिप्राय यह है कि हर मनुष्य को अपने प्रबल पुरूषार्थ से पहले अपने मन पर अंकुश लगाना चाहिए। यानी मोक्ष प्राप्ति के लिए अपने मन को विकार रहित बनाने का प्रयत्न करना चाहिए। इसी में मुक्ति है।
मनुष्य का शरीर मिट्टी के कच्चे घड़े के समान क्षणमात्र (chanakya neeti) में नष्ट हो जाने वाला है। यदि कच्चे घड़े को भी यत्नपूर्वक इस्तेमाल किया जाये तो वह बहुत समय तक चल सकता है। परन्तु शरीर को मनुष्य चाहे जितने यत्न से सम्भालकर रखे तो भी यह नष्ट हो जाता है।
शरीर के इस क्षणमात्र में नष्ट होने का ज्ञान होने पर मनुष्य का मन जहां कहीं भी जाता है। वहीं उसके लिए समाधि बन जाती है। अर्थात् जागृत अवस्था में होने पर भी समाधि की स्थिति में आ जाता है। अभिप्राय यह है कि यह शरीर क्षण-भंगुर है, यह ज्ञान होते ही हर मनुष्य का देहाभिमान नष्ट हो जाता है