Site icon Navpradesh

chanakya neeti: मनुष्य में चाहे कितने भी गुण क्यों न हो लेकिन हिरण की तरह..

chanakya neeti, Human beings may have, many qualities but like deer,

chanakya niti

chanakya neeti: जिन व्यक्तियों के पास विद्या, दान, शील, तप व गुण नहीं हैं वे व्यक्ति पृथ्वी पर भार स्वरूप पशु के समान ही जीवन व्यतीत करते हैं अर्थात् मनुष्य रूप में वे केवल हिरण के समान विचरण करते हैं। जिनमें उक्त गुणों का अभाव है वे पशुतुल्य हैं।

चाणक्य (chanakya neeti) के कहने का अभिप्राय है कि मनुष्य के जीवन की सफलता विद्वान, तपस्वी, दानी, शीलवान, गुणवान्, अथवा धर्मात्मा होने में है। इनमें से किसी भी गुण के अभाव में वह व्यक्ति मनुष्य नहीं पशु तुल्य है।

विद्याध्ययन कर रहे व्यक्ति (chanakya neeti) के लिए आवश्यक है कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उसे काम (विषम-चिन्ता), क्रोध (गुस्सा करना), लोभ (धन प्राप्ति की इच्छा), स्वाद (जिव्हा को प्रिय लगने वाले पदार्थों का सेवन), श्रृंगार (सुगन्धित द्रव्यों का प्रयोग करने, सजना-धजना)।

कौतुक (खेल-तमाशे, सिनेमा, टी.वी. आदि देखना), अतिनिद्रा (बहुत अधिक सोना) और अतिसेवा (किसी दूसरे की बहुत अधिक सेवा चाकरी करना) इन आठों बातों का त्याग कर देना चाहिए।

Exit mobile version