chanakya neeti: सदपुरूष जैसा आचरण करते हैं, इस संसार के साधारण मनुष्य भी वैसा ही व्यवहार करते हैं। जिस बात को सद्पुरूष आदेश मानकर चलते हैं, संसार के मनुष्य भी उसी आदेश रूपी बात का अनुकरण करते देखे जा सकते हैं।
इसी प्रकार राजा के धार्मिक प्रवृत्ति (chanakya neeti) का होने पर प्रजा भी धर्मपरायण, राजा के पापी होने पर प्रजा भी पापाचार में लिप्त तथा राजा के उदासीन होने पर उसकी प्रजा व दरबारीगण सभी उदासीन हो जाते हैं। सिद्धान्तः प्रजा राजा का अनुकरण करती है, जैसा राजा वैसी प्रजा।
कहने का अभिप्राय (chanakya neeti) यह है कि जैसा राजा होता है, उसकी प्रजा भी वैसी ही बन जाती है। जिस प्रकार अपनी प्रजा को सन्मार्ग दिखाने के लिए राजा को अपने चरित्र को आदर्श पुरूष (सद्कर्म करने वाला) बनाना अत्यन्त आवश्यक है, उसी प्रकार अपनी औलाद को महान बनाने के लिए हर पुरूष को स्वयं भी पापाचार का रास्ता छोड़कर सन्मार्ग अपनाना चाहिए।