chanakya neeti: आचार्य चाणक्य का यह कथन आज के युग में बहुत ही सटीक व यथार्यवादी लगता है। वह कहते हैं कि बुद्धिमान व्यक्ति विवाह के लिए कुलीन घराने की युवती का ही चयन करते हैं। वे नीच कुल की रूपसी के पीछे नहीं दौड़ते और जो इसके विपरीत जाते हैं, वे न तो बुद्धिमान कहलाते हैं और न ही सुख के भागी होते हैं।
आचार्य चाणक्य (chanakya neeti) गुण की प्रधानता को महत्व देते हुए कहते हैं कि यदि उच्च कुल की युवती रूप के दृष्टिकोण से सामान्य भी है तब भी वह नीच कुल की रूपसी से श्रेष्ठ हैं, क्योंकि स्त्री का रूप और सौन्दर्य तो उसके गुण हैं।
वह स्पष्ट करते हैं कि अति रूपसी पत्नी पति के लिए शत्रु से कम नहीं होती, क्योंकि कोई भी उससे डाह कर सकता हैं, और उसका परिणाम घातक हो सकता है, अतः गुणी युवती से विवाह करना ही बुद्धिमान लोगों का काम है।
आचार्य चाणक्य का कहना है कि जिस व्यक्ति का पत्नी से वियोग हो जाता है वह दुःखी रहता है, वह व्यक्ति भी दुःखी रहता है जो अपने परिजनों से अपमानित हो जाता है। वह कहते हैं कि कर्ज से उऋण न होने वाला व्यक्ति भी कष्ट ही भोगता है।
आचार्य चाणक्य के अनुसार जिस व्यक्ति का मालिक दुष्ट प्रवृत्ति का होता है, वह भी कष्ट में होता है। साथ ही दरिद्र व्यक्ति मूल् के समाज में रहकर भी दुःख ही भोगता है। अतः व्यक्ति को इन परिस्थितियों से जहां तक सम्भव हो सके, बचना चाहिए।