नई दिल्ली, नवप्रदेश। आचार्य चाणक्य (Chanakya Neeti) ने लोगों में कुछ अवगुणों के बारे में बताया है और कहा है कि जिन लोगों में ये अवगुण होते हैं। उन लोगों की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है और लोग सही-गलत का एहसास नहीं कर पाते हैं। वही लोग अपने साथ-साथ अपने परिवार वालों की भी जिंदगी को मुसीबत में डाल सकते हैं।
इस आचार्य चाणक्य (Chanakya Neeti) कहते हैं कि आज ही खुद के अंदर से सारे अवगुणों को निकाल फेंकिए। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में तीन अवगुणों को सबसे खतरनाक बताया है- “अहंकार, वासना और लालच इंसान की बुद्धि को पूरी तरह भ्रष्ट कर देते हैं”
आचार्य चाणक्य (Chanakya Neeti) ने इस कथन के मुताबिक, जिन लोगों के अंदर अहंकार, वासना और लालची से अवगुण होते हैं उनकी बुद्धि का विकास कभी नहीं हो पाता है। आचार्य के मुताबिक, एक अहंकारी व्यक्ति को कभी सही और गलत का फर्क नजर नहीं आता क्योंकि उसे लगता है कि वो जो भी करता है सही ही करता है।
वहीं जो लोग वासना के अधीन हैं, उन्हें शारीरिक सुख के अलावा कुछ दिखाई नहीं देता। इसके अलावा लालच में पड़ा व्यक्ति हर जगह रुपये कमाने के ही चक्कर में फंसा रहा है। उसकी नजर दूसरों के पैसों पर टिकी रहती है।
इस तरह आचार्य चाणक्य ने जीवन में बुद्धि के विकास के लिए अहंकार, वासना और लालच को सबसे बड़ा अवगुण माना है और समय रहते हुए उनसे दूरी बना लेने की बात कही है।